कोई भी व्यक्ति सिर्फ शास्त्र पढ़ने से विद्वान नहीं बन सकता है। विद्वान बनने के लिए अपने स्वभाव में शास्त्रों की बातों को उतारना होगा। हम बार-बार अच्छी बातें पढ़ते हैं तो हमारा मन बुराइयों से दूर होने लगता है और विचार सकारात्मक हो जाते हैं। अच्छे विचारों का असर हमारे कामों में दिखता है।
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