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न्यायाधीशों की सराहनीय पहल:वकील कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए, नियमित बैठ रहे जज, 2 दिन में 70 मामले निराकृत

25 चिह्नित मामलों को तीन महीने में निराकृत किए जाने के चीफ जस्टिस के आदेश के खिलाफ भले ही वकील 23 मार्च से कोर्ट का बहिष्कार कर रहे हैं, लेकिन न्यायाधीश नियमित दिनों की तरह कोर्ट में बैठ रहे हैं और फैसले भी दे रहे हैं। इसका उदाहरण हाई कोर्ट से समझा जा सकता है। बीआरटीएस की बस लेन में अन्य वाहनों को प्रवेश दिए जाने से लेकर जमानत, अग्रिम जमानत के 70 मामलों को 2 दिन में निराकृत किया है।

जिला एवं सत्र न्यायालय की बात की जाए तो प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अपर सत्र न्यायाधीश और जेएमएफसी कोर्ट ने भी बड़ी संख्या में प्रकरण निराकृत किए हैं। सोमवार को स्टेट बार काउंसिल की फिर बैठक होगी। इसमें तय किया जाएगा कि तीन महीने में प्रकरण निराकृत करने के आदेश का किस तरह से विरोध किया जाए। उल्लेखनीय है कि चीफ जस्टिस ने प्रदेशभर की 200 बार एसोसिएशन को अवमानना के नोटिस जारी किए हैं। कार्य से विरत रहने के फैसले को अवैधानिक करार दिया है।

1. बोलचाल की भाषा में समझा रहे प्रकरण
जमानत, अग्रिम जमानत के मामलों में परिजन कोर्ट जाकर अपनी बात रख रहे हैं। मारपीट के एक मामले में जेल भेजे गए सुनील कुमार की ओर से अग्रिम जमानत दायर की गई। सुनील के भाई ने कोर्ट में उपस्थित होकर कहा कि भाई का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं है। सामान्य विवाद हुआ था। कोर्ट शर्तों के साथ जमानत का लाभ दे। इस पर कोर्ट ने जमानत का लाभ दिया।

2. घबराइए मत, आराम से अपनी बात कहिए
दहेज प्रताड़ना के मामले में जिला कोर्ट ने राजेंद्र कुमार को तीन साल की सजा दी थी। राजेंद्र की ओर से उसका चचेरा भाई प्रियेश जस्टिस अनिल वर्मा की कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुआ। जस्टिस वर्मा ने मौखिक रूप से प्रियेश से कहा कि आप घबराइए नहीं, आराम से अपनी बात कहिए। प्रियेश ने कहा कि साहब अपील की अवधि समाप्त हो रही है। कोर्ट ने जमानत का लाभ दिया।

3. सर, मुझे ही वेतनमान का लाभ नहीं मिला
जस्टिस विवेक रुसिया की कोर्ट के समक्ष जल संसाधन विभाग का कर्मचारी संजय मालवीय उपस्थित हुआ। जज ने पूछा कि बोलिए क्या समस्या है आपकी। कर्मचारी ने कहा कि साहब मुझे पांचवें और छठे वेतनमान का लाभ नहीं मिला है। मुझे कोई नोटिस नहीं मिला न ही जांच लंबित है। कोर्ट ने सुनने के बाद कहा कि ठीक है हम विभाग को नोटिस जारी कर रहे हैं।

4. सीईओ ने भी वकील की तरह केस समझाया
23 मार्च को आईडीए सीईओ ने भी डिविजन बेंच के सामने खड़े होकर भंवरकुआं चौराहा पर बनने वाले फ्लायओवर की डिजाइन और डायवर्शन के बारे में कोर्ट को वकीलों की तरह समझाया। कोर्ट को बताया कि पूरे बीआरटीएस से कोई लेना-देना नहीं, सिर्फ 700 मीटर के हिस्से में डायवर्शन की जरूरत है। उतने ही हिस्से के लिए अनुमति चाहिए।

5. युवती को पुलिस पूरी तरह सुरक्षा प्रदान करे
सुखदेव नगर में रहने वाली खुशी नामक युवती ने लव मैरिज की है। उसने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की है कि परिवार के लोग शादी से नाखुश हैं। जान को खतरा हो सकता है। जस्टिस रुसिया की कोर्ट के समक्ष अर्जी लगी थी। खास बात यह है कि युवती कोर्ट में उपस्थित नहीं हुई, इसके बावजूद कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को आदेश दिए कि युवती सुरक्षा के लिए अर्जी दे तो उसे राहत प्रदान की जाए।

6. एक अपराध की दो सजा कैसे
निलेश खंडेलवाल ने बैंक द्वारा कराए गए केस को चुनौती दी। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर के समक्ष निलेश खुद उपस्थित हुए। बताया कि बैंक से 1 लाख 90 हजार के लोन का मामला पहले डीआरटी में विचाराधीन है। बावजूद आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ में बैंक ने केस दर्ज करवा दिया। एक अपराध की दो जगह जांच नहीं हो सकती। कोर्ट ने निलेश को राहत प्रदान की।



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