प्रदेश के सरकारी कैंसर अस्पतालों में मरीजों को 30-40 साल पुरानी तकनीक से दर्दनाक साइड इफेक्ट वाली रेडियोथैरेपी दी जा रही है, जबकि आधुनिक तकनीक वाली लिनियर एक्सीलरेटर (लिनाक) मशीन कई वर्षों से उपलब्ध है। इंदौर में ही इसके लिए 20 सालों में 35 से ज्यादा बैठकें हो चुकी हैं। भोपाल में दो दशक पहले बंकर तो बना लिए लेकिन प्रोजेक्ट आज तक पूरा नहीं हो सका। वहीं इंदौर हाई कोर्ट भी 2010 में ही इस तकनीक वाली मशीन लगाने के आदेश दे चुकी है,जबकि इसी अवधि में निजी अस्पतालों में 15 से 20 करोड़ रुपए की लगभग एक दर्जन मशीनें लग चुकी हैं।
लिनाक मशीन से ट्यूमर पर सटीकता से उच्च ऊर्जा का विकिरण डाला जाता है। इसमें सीटी स्कैन भी होता है, जिससे प्रभावित क्षेत्र में रेडियोथैरेपी की प्लानिंग आसान हो जाती है। इंदौर कैंसर अस्पताल के डॉ. रमेश आर्य कहते हैं पुरानी तकनीक से अच्छी कोशिकाएं भी मर जाती हैं। वहीं लिनाक मशीन से दूसरे ऑर्गन डैमेज होने और साइड इफेक्ट की आशंका कम से कम हो जाती है। भोपाल के एम्स के अलावा प्रदेश के किसी भी सरकारी अस्पताल में यह मशीन नहीं है।
पुरानी तकनीक दे रही साइड इफेक्ट
कोबाल्ट सोर्स मशीन तकनीक बहुत पुरानी हो चुकी है। इस मशीन के जरिए रेडिएशन थैरेपी देने से वे अंग भी गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं जो कैंसर की चपेट में नहीं है। पिछले 10 सालों में आयुष, मुख्यमंत्री सहायता निधि के रूप में निजी अस्पतालों को जो भुगतान हुआ है उससे प्रदेश के 4 मेडिकल कॉलेजों में यह सुविधा शुरू हो जाती।
- 5100 मरीज पहुंचते थे 2020 तक सालाना
- 3200 मरीज हो चुके हैं अब घटकर
- 105 बेड की व्यवस्था है इस अस्पताल में
- 90 से ज्यादा बेड भरे रहते हैं हमेशा
निजी को बांट रहे करोड़ों रुपए
इंदौर के 8 तो भोपाल के 4 अस्पतालों में लिनाक मशीन है। इंदौर में 200 से ज्यादा मरीजों की रेडियोथैरेपी निजी अस्पतालों में हो रही है, जिसके लिए सरकार उन्हें आयुष्मान भारत व सीएम सहायता निधि से 80 हजार से 1.20 लाख तक प्रति मरीज भुगतान करती है।
अधिकारियों पर कैसा दबाव
भोपाल एम्स में इस प्रोजेक्ट से जुड़े रहे एक डॉक्टर बताते हैं कि 2016 में सभी तैयारी पूरी होने के बाद भी कुछ अदृश्य दबाव ऐसा था कि बड़ी मुश्किल से 2019 में मशीन इंस्टॉल हो पाई हो पाई। राज्य के अधिकारी उस दवाब के आगे 20 सालों से सरेंडर हैं।
पड़ोसी राज्यों के सरकारी अस्पतालों में लग चुकी
प्रदेश से सटे राज्यों के सरकारी अस्पतालों में यह मशीन लग चुकी है। गुजरात के 7 सरकारी अस्पतालों में यह मशीन है। लखनऊ के ही 3 सरकारी अस्पतालों में इससे आधुनिक इलाज किया जा रहा है। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और हाल ही में कोटा तक के सरकारी अस्पताल में रेडियोथैरेपी की आधुनिक लिनाक मशीन लग चुकी है। प्रदेश से ही अलग हुए छत्तीसगढ़ मे भी 2 अत्याधुनिक मशीनें काम कर रही हैं। वहीं पश्चिम बंगाल 2018 में ही 75 करोड़ में 5 मशीनें खरीद चुका है।
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