(3 मार्च) फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी है। इसे आंवला (आमलकी) और रंगभरी एकादशी कहा जाता है। ये विष्णु जी के साथ ही आंवले के पेड़ की पूजा का पर्व है। गुरुवार को एकादशी होने से इस दिन गुरु ग्रह के लिए भी विशेष पूजा अर्चना करनी चाहिए। इस तिथि पर सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जरूर जलाना चाहिए। साथ ही शालीग्राम जी की पूजा भी करें।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, एक साल में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिस वर्ष अधिकमास रहता है, उस वर्ष में 26 एकादशियां रहती हैं। एकादशी पर भगवान विष्णु के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। स्कंद पुराण के वैष्णव खंड में एकादशी महात्म्य अध्याय में एकादशियों के बारे विस्तार से बताया गया है।
गुरुवार का कारक ग्रह है बृहस्पति
नौ ग्रहों में से एक बृहस्पति (गुरु) गुरुवार का कारक ग्रह है। शास्त्रों में बृहस्पति को देवताओं का गुरु बताया गया है। गुरु ग्रह धनु और मीन राशि का स्वामी है। कुंडली में इस ग्रह की शुभ-अशुभ स्थिति का सीधा असर वैवाहिक जीवन पर और भाग्य पर होता है। जिनकी कुंडली में ये ग्रह अच्छी स्थिति में है, उन्हें भाग्य का साथ मिलता है, वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है और व्यक्ति का मन धर्म-कर्म में लगा रहता है। कुंडली में इस की स्थिति ठीक न हो तो व्यक्ति को भाग्य का साथ नहीं मिल पाता है। ऐसी स्थिति में हर गुरुवार गुरु ग्रह के लिए विशेष पूजा-उपासना करनी चाहिए।
गुरुवार को ऐसे करें गुरु ग्रह की पूजा
गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए चने की दाल का दान करें। बृहस्पति की पूजा शिवलिंग रूप में ही की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल, चने की दाल चढ़ाएं, बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। बृहस्पति के मंत्र ऊँ बृं बृहस्पतये नम: का जप करें।
ऐसे करें विष्णु जी की पूजा
एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
पूजा में भगवान विष्णु के साथ ही महालक्ष्मी की प्रतिमा भी रखें। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान का अभिषेक करें। शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान को चढ़ाएं, फिर जल से अभिषेक करें।
भगवान को पीले चमकीले वस्त्र पहनाएं, फूलों से श्रृंगार करें। मौसमी फल और मिठाई का भोग तुलसी के साथ लगाएं। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। विष्णु-लक्ष्मी पूजन के बाद आंवले के पेड़ की भी पूजा जरूर करें।
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