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बीटेक-एमबीए में अब 360 को मिलेगा प्रवेश:एमसीए में भी 120 सीट्स बढ़ाईं; एआईसीटीई की अप्रूवल प्रोसेस हैंडबुक जारी

ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) ने आगामी सत्र के लिए अप्रूवल प्रोसेस हैंडबुक 2023-24 जारी कर दी है। अब इंजीनियरिंग व मैनेजमेंट कॉलेजों को बीटेक और एमबीए के लिए पहले साल में 300 की जगह 360 और एमसीए में 180 की जगह 300 इंटेक की मंजूरी दी जाएगी। अप्रूवल मिलने पर कॉलेज बढ़ी हुई सीटों पर स्टूडेंट्स को एडमिशन दे पाएंगे। अप्रूवल के लिए टेक्निकल एजुकेशन रेगुलेटरी (टीईआर) चार्ज में 10% की बढ़ोतरी गई है। पूर्व में एक कोर्स के अप्रूवल के लिए चार्ज 30 हजार रुपए था जो अब 33 हजार रुपए हो गया है।

नई ब्रांच खुलने से पहले संस्थान में पिछले साल कम से कम तीन नई ब्रांच संचालित होनी चाहिए। वर्तमान में संचालित कोर ब्रांच में कम से कम 50 प्रतिशत एनरोलमेंट होना चाहिए। इसी शर्त पर संस्थान नई ब्रांच के लिए आवेदन कर पाएंगे। एनबीए एक्रीडिटेशन होना अनिवार्य है। एक ब्रांच को बंद करते हैं तो उसके स्थान पर दूसरी ब्रांच शुरू कर सकते हैं।

पीजी डिप्लोमा प्रोग्राम और एमबीए काे मर्ज करने का प्रावधान भी हैंडबुक में किया गया है। छात्रों की मेंटल हैल्थ को ध्यान में रखते हुए संस्थानों में काउंसलर्स भी नियुक्त किए जाएंगे। स्किल डेवलपमेंट के साथ ही प्लेसमेंट पर भी फोकस किया जाएगा। अप्रूवल की पूरी प्रक्रिया को नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम पोर्टल के जरिए संचालित करेगा।

ये प्रोग्राम नहीं चलेंगे ओपन डिस्टेंस लर्निंग मोड पर...
डिप्लोमा, डिग्री व पीजी डिग्री प्रोग्राम, इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, प्लानिंग, होटल मैनेजमेंट, कैटरिंग टेक्नोलॉजी, अप्लाइड आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स व डिजाइन में शुरू नहीं किए जा सकेंगे। डिस्टेंस लर्निंग मोड में संचालित हाेने वाले प्रोग्राम्स के लिए पर्याप्त स्टाफ रखना होगा।

ये रहेंगे इंजीनियरिंग के इमर्जिंग एरिया कोर्सेज...
माइक्राेइलेक्ट्रॉनिक्स एंड वीएलएसआई, मोबिलिटी, हाईवे इंजीनियरिंग, एआई, आईओटी, एआरवीआर, क्वांटम कंप्यूटिंग, वेस्ट मैनेजमेंट, ईवी टेक्नोलॉजी सहित अन्य कोर्सेज को इंजीनियरिंग के इमर्जिंग एरिया में शामिल किया गया है।

एग्रीकल्चर व ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की कोर ब्रांच...
कोर ब्रांचेज में एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग, केमिकल इंजीनियरिंग, माइनिंग इंजीनियरिंग, टेक्सटाइल इंजीनियरिंग, फूड एंड टेक्नोलाॅजी के साथ ट्रेडिशनल ब्रांच शामिल हैं। अभी भी स्टूडेंट्स का रुझान कोर ब्रांचेज से बीटेक करने में रहता है।

फैकल्टी अपॉइंटमेंट में रिलेक्सेशन...

ऐसे कॉलेज जिनकी सीट 25 प्रतिशत कम से भरेगी, उनकी एआईसीटीई आटोमैटिक सीट कम कर देगी। वहीं जिनकी सीट 50 प्रतिशत से कम भरेगी, उनको फैकल्टी में रिलेक्सेशन दिया गया है। यदि पिछले 3 वर्षों के दौरान औसत प्रवेश औसत स्वीकृत इंटेक के 50 प्रतिशत से कम है या उसके बराबर है तो प्रयोगशाला/परियोजना कार्य में जाने वाले के बैचों की संख्या के आधार पर फैकल्टी मेंबर की आवश्यकता 25 प्रतिशत कम हो जाएगी।

नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर लगी रोक हटेगी... शैक्षणिक सत्र
2023-24 से नए इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर लगी अस्थाई रोक से समाप्त की जाएगी। इस संबंध में एआईसीटीई ने घोषणा कर दी है। पाठ्यक्रम में दाखिले की घटती संख्या को देखते हुए नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोलने पर रोक लगा रखी थी।

कॉलेजों को राहत... मुश्किल शर्त हटाकर जमीन के नियम भी बदले...
एसोसिएशन ऑफ टेक्निकल प्रोफेशनल इंस्टीट्यूट (एटीपीआई) मप्र के चेयरमैन केसी जैन बताते हैं कि इस बार एआईसीटीई ने काफी राहत दी है। सबसे बड़ी राहत जमीन को लेकर दी है। पहले कॉलेज शुरू करने के लिए संबंधित संस्था के पास शहरी क्षेत्र में ढ़ाई और ग्रामीण क्षेत्र में पांच एकड़ जमीन की शर्त थी। इसके कारण मेट्रो सिटी और अब तो एमपी के बड़े शहरों में इतनी जमीन मिलना मुश्किल है। ऐसे में एआईसीटीई ने इस शर्त को हटाया है। इसके साथ पर उस कंस्ट्रक्शन एरिया पर फोकस किया है।

तय मापदंड अनुसार कंस्ट्रक्शन एरिया होना चाहिए। नगर निगम व टीएनसीपी या अन्य संंबंधित अथॉरिटी की मंजूरी के साथ मल्टीस्टोरी बिल्डिंग के साथ कॉलेज शुरू किए जा सकते हैं। ऐसे में कोई दो से तीन प्रोग्राम के साथ कॉलेज शुरू करना चाहेगा तो वो एक एकड़ जमीन पर भी कॉलेज बना सकता है। जैन बताते हैं कि जमीन की शर्तों में बदलाव करने के कारण इंस्टीट्यूशंस का वर्टिकल तौर पर डेवलपमेंट होगा इसके कारण कम जमीन पर इंस्टिट्यूट संचालित किए जा सकेंगे और शेष जमीन का उपयोग अन्य किसी कार्य में भी कर सकेंगे। ​​​​​​​

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