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महाकालेश्वर मंदिर में रंगपंचमी:5 क्विंटल टेसू के फूलों से खेला रंग; चंदन, भांग, सूखे मेवों से श्रृंगार

रंगपंचमी के मौके पर रविवार को विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों ने भगवान महाकाल के साथ रंग खेला। भस्म आरती के दौरान 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। जल से भगवान महाकाल का अभिषेक करने के पश्चात दूध, दही, घी, शक्कर, ताजे फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। भांग, चंदन, सूखे मेवों से बाबा महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया।

भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल को भस्म अर्पित करने के पश्चात त्रिपुण्ड, त्रिशूल और आभूषण अर्पित किए गए। शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगन्धित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की। फल और मिष्ठान का भोग लगाया। भस्म आरती में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। भगवान महाकाल को प्रथम रंग अर्पित करने के बाद मंदिर में श्रद्धालु, पण्डे, पुजारियों ने रंगपंचमी मनाई। गर्भगृह से लेकर नंदी हॉल और कार्तिकेय मंडपम तक पूरा हॉल रंगमय हो गया।

रंगपंचमी की परंपरा

देश के कुछ हिस्सों में ही मनाए जाने वाले रंग पंचमी पर्व पर रंगों का अलग ही उल्लास देखने को मिलता है। उज्जैन में महाकाल मंदिर से इस पर्व की शुरुआत हुई। भगवान महाकाल की भांग, सूखे मेवे, गुलाल, कंकू, चंदन से श्रृंगार के बाद भस्म आरती की जाती है। रंगपंचमी का पहला रंग भी भगवान महाकाल को चढ़ता है। इसके बाद देशभर में रंगपंचमी का पर्व मनाया जाता है। इसी दिन महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल की पूजा - अर्चना के बाद विजय पताका फहराकर मनोकामना का ध्वज निकाला जाता है।

भगवान महाकाल को चढ़ने वाले रंग की विशेषता

महाकाल मंदिर में रंगपंचमी पर तड़के भस्मारती में राजाधिराज भगवान महाकाल को शुद्ध रंग चढ़ाने की परम्परा है, ताकि शिवलिंग को क्षरण से बचाया जा सके। इसके लिए सोमवार से महाकाल मंदिर परिसर में रंग को बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी। इस बार 5 क्विंटल टेसू के फूलों को आगर, उज्जैन, नलखेड़ा और आसपास के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से मंगाया गया। सभी फूलों को साफ कर तीन बड़े कड़ाव में पानी के साथ उबाला गया। करीब तीन घंटे उबलने के बाद जैसे ही रंग आना शुरू होता है, उसको छानकर ठंडा होने के बाद शुद्ध रंग तैयार हो जाता है। यही रंग भस्मारती के दौरान भगवान पर रंग पंचमी पर अल सुबह सतत रंगधारा प्रवाहित की जाती है ।

चल समारोह में शामिल होंगी झांकियां

रविवार शाम छह बजे मंदिर के सभामंडप में भगवान वीर भद्र व ध्वज का पूजन होगा। इसके बाद चल समारोह की शुरुआत होगी। गेर में राजभवन से आया ध्वज, मंदिर का प्रतीक चांदी का ध्वज तथा 51 अन्य ध्वज निशान शामिल रहेंगे। विद्युत रोशनी से झिलमिलाती झांकियां, विभिन्न वाद्य दल तथा मंदिर के पुजारी, पुरोहित अधिकारी आदि शामिल होंगे।

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