- 7 सदस्यीय दल को प्रारंभिक जांच में ही चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं
स्कीम 97 पार्ट 4 में शामिल हुई 210 एकड़ जमीन की हकीकत पता करने के लिए इंदौर विकास प्राधिकरण ने 7 सदस्यीय टीम गठित कर रखी है। तीन दिन से टीम इस योजना में जाकर जमीनों की भौतिक स्थिति पता कर रही है।
इस दौरान उसे कई चौंकाने वाली जानकारी मिल रही है। जो व्यावसायिक उपयोग के प्लाॅट आईडीए को बेचना थे, वहां पर जमीन मालिकों ने आईडीए की प्लानिंग शाखा से गुपचुप तरीके से जमीन मुक्त होने का पत्र हासिल कर लिया है। हुकमाखेड़ी, तेजपुर गड़बड़ी, रेती मंडी क्षेत्र के कई खसरों में ही तकरीबन 500 करोड़ रुपए की जमीनों के बारे में पता चला है।
पूरी जमीन का नए सिरे से सीमांकन करेंगे
आईडीए चेयरमैन जयपालसिंह चावड़ा के मुताबिक, जो 210 एकड़ जमीन मिली है, उसमें आमजन के लिए 800 से 1000 वर्गफीट तक के 1 हजार से अधिक प्लाॅट विकसित किए जाएंगे। पूरी जमीन का नए सिरे से सीमांकन किया जा रहा है। इसका डिजिटल मैप भी तैयार करवा रहे हैं। आईडीए ने अधिग्रहण के बाद कलेक्टर कार्यालय में मुआवजा जमा कर दिया था। मुआवजा पारित होने के बाद जमीन आईडीए की हो गई। इसके बावजूद बड़ी संख्या में जमीन मुक्त होने की एनओसी जारी हो गई। अब इन सभी को निरस्त कर जमीन हासिल की जाएगी।
अतिक्रमण भी हो गया
कमेटी को प्रारंभिक जांच में अतिक्रमण का भी पता चला है। रेती मंडी रेलवे क्रॉसिंग के सामने 20 से ज्यादा टीन शेड लगे होने, पक्की दुकानें, गोडाउन बना लिए गए हैं। इन जमीनों को आईडीए ने कभी बेचा ही नहीं है। नगर निगम से भी नक्शा पास नहीं हुआ है। 10-15 सालों से यहां पर अतिक्रमण है। इन्हें नगर निगम और जिला प्रशासन की मदद से हटवाया जाएगा।
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