संत कबीरदास जी से जुड़ा एक किस्सा है। कबीरदास जी के जीवन की कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनमें जीवन को सुखी और सफल बनाने क़े सूत्र छिपे हैं। कबीरदास जी कपड़ा बुनने के काम के साथ भगवान का ध्यान भी करते रहते थे। वे ये दोनों ही काम बहुत ही एकाग्रता के साथ करते थे।
एक शिष्य ने कबीरदास जी को काफी दिनों से देख रहा था। एक दिन उसने कबीरदास जी पूछा कि आप भक्त हैं, लेकिन मैं कई दिनों से देख रहा हूं कि आप हमेशा ही कपड़े ही बुनते रहते हैं तो आप भक्ति कब करते हैं?
कबीरदास जी अपने शिष्यों की शंकाओं का समाधान अलग अंदाज से करते थे, ताकि उन्हें जो संदेश मिले, वह जीवनभर याद रहे। उन्होंने उस शिष्य से कहा कि पहले मेरे साथ चलो थोड़ा घूम आते हैं।
शिष्य तैयार हो गया और दोनों साथ चलने लगे। रास्ते में उन्होंने देखा कि एक महिला कुएं से पानी भरकर लौट रही थी। उसके सिर पर पानी से भरा घड़ा रखा हुआ था और वह अपनी मस्ती में गीत गाते हुए चल रही थी। उस महिला ने घड़े को पकड़ा नहीं था, लेकिन घड़ा सिर पर स्थिर था और घड़े से पानी भी छलक नहीं रहा था।
संत कबीरदास जी की सीख
कबीरदास जी ने उस व्यक्ति से कहा कि वह महिला पानी लेकर आ रही है, उसके सिर पर पानी है, लेकिन वह अपनी मस्ती में गाना गाते हुए चल रही है, मटका भी स्थिर है और वह गाना भी गा रही है। वह एक साथ तीन काम कर रही है। पहला, उसका ध्यान घड़े पर है। दूसरा, उसका ध्यान रास्ते पर भी है। तीसरा, वह गाना भी गा रही है। बस ठीक इसी तरह मैं अपने काम के साथ भगवान का ध्यान भी कर लेता है। काम करते-करते मैं भक्ति करता हूं। जीवन में संतुलन होना बहुत जरूरी है। हमें भी धन कमाने के साथ ही भक्ति भी करनी चाहिए। कर्म के साथ ही भक्ति भी करेंगे तो जीवन में सुख-शांति और सफलता बनी रहेगी।
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