Header Ads Widget

Responsive Advertisement

विधानसभा स्पीकर ने बताई जीतू के सस्पेंशन की वजह:जीतू पटवारी बोले- नरोत्तम और शिवराज की लड़ाई में मुझ पर कार्रवाई हुई

मध्यप्रदेश विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के निलंबन पर कांग्रेस एग्रेसिव मूड में आ गई है। इस पर शुक्रवार को सदन में जमकर हंगामा हुआ। बाद में विधानसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक स्थगित कर दी गई। इस मामले को लेकर विधानसभा स्पीकर गिरीश गौतम और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी से बात की। गिरीश गौतम का कहना है कि पटवारी ने आसंदी के आदेशों की अवहेलना की है। तथ्यों को ताेड़-मरोड़कर पेश किया है। वहीं, जीतू पटवारी ने इसे नरोत्तम मिश्रा और सीएम शिवराज की आपसी लड़ाई का परिणाम बताया।

 जीतू पटवारी के निलंबन का मुख्य कारण क्या था?

स्पीकर- मुख्य कारण था आसंदी के आदेशों की अवहेलना करना। सदन में संसदीय परंपरा का पालन न करना। लगातार तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना। विधानसभा में भ्रामक तथ्यों को देना और सनसनी फैलाना। जब ये चुनौती आई कि पटल पर रखो, क्योंकि कोई बात हम कहकर निकल जाते हैं। बिना तथ्यों के कोई आरोप नहीं लगा सकते। जब ये चुनौती आई कि ये चीजें आप पटल पर रखो, तो मैंने पांच मिनट का समय दिया। उन्होंने लिखित में जो दिया, उसमें बोले कुछ और है। वहीं, जो लिखकर दिया, उसमें कानूनी भाषा का इस्तेमाल किया कि विधानसभा में कुणाल चौधरी का जो उत्तर आया था, उसे मैंने रखा है। वहां तो आप सीधे आरोप लगा रहे थे कि ये बेच दिया, वो बेच दिया। वही लिखकर देना चाहिए था।

मैंने दोनों चीजें दिखाईं कि देखो दोनों में अंतर है। जो आपने बोला है, वो इसमें नहीं लिखा। इसमें कानूनी दांव पेंच का इस्तेमाल करते हुए बचाव का तरीका अपनाया है। ये ठीक नहीं हैं। इससे पता चलता है कि आप विधानसभा के भीतर सनसनी पैदा करने का काम करते हैं। ऐसा नहीं करना चाहिए। आप खेद व्यक्त करो। उन्होंने नहीं किया।

स्पीकर- अभी तो हम चला ही रहे हैं। हंगामा हो रहा है, तो कोई तरीका निकालेंगे।

अब पढ़िए जीतू पटवारी ने क्या कहा?

पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा- हमारे अध्यक्ष जो संविधान की शपथ और धर्म नहीं निभा रहे हैं। उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव कमलनाथ जी के निर्देश पर कांग्रेस पार्टी लाई है। वो चर्चा से भागे हैं। किताबें फेंक कर भाग गए। क्योंकि चोरी करने वाला कभी मुंह नहीं दिखाता, मुंह छिपाकर भागता है। 13 मार्च को हिसाब देना पड़ेगा। इस दिन के कार्यक्रम का निर्णय नेता प्रतिपक्ष, कमलनाथ जी और कांग्रेस पार्टी फैसला करेगी।

पटवारी ने कहा- नरोत्तम मिश्रा इस तरह की बातें कर रहे हैं। झगड़ा तो शिवराज सिंह और नरोत्तम मिश्रा के बीच में है। ये लड़ाई शिवराज जी के खिलाफ नरोत्तम मिश्रा ने छेड़ी है। हमारा रोल तो जनता के लिए है। जो बातें नरोत्तम मिश्रा बोलते हैं, इसका मतलब है कि वो शिवराज जी को क्रिटिसाइज करते हैं। ये उनकी आपसी लड़ाई में सदन का दुरुपयोग हो रहा है। उनकी आपसी लड़ाई में मेरा निलंबन हुआ है। बीजेपी की आपसी लड़ाई दूसरे के माथे फोड़ रहे हैं। आपस में सभी डाकू लड़ रहे हैं।

निलंबन पर सवाल उठाते हुए जीतू पटवारी ने कहा- मैंने जो बोला, वही लिखकर दिया है। वही प्रश्नों में भी है। उन्हीं बातों पर मैं अब भी कायम हूं। अगर कोई गलती होती, तो कल ही खेद व्यक्त कर देता। मैंने जो कहा, वो संविधान के अनुरूप, पार्टी के अनुरूप कहा। संयमित भाषा में सही शब्दों में कहा। कोई गलती नहीं की।

नरोत्तम मिश्रा और शिवराज जी के झगड़े का खामियाजा प्रदेश भुगत रहा है। अध्यक्ष जी उसका मोहरा बन रहे हैं। अध्यक्ष जी ने जो किया, वो अलोकतांत्रिक तरीके से नियम विरुद्ध ढंग से किया। पार्टी का निर्णय मेरा निर्णय है। कमलनाथ जी, नेता प्रतिपक्ष और पार्टी जो निर्णय करेगी, मैं उसे मानूंगा।

अब जानिए, आगे कांग्रेस की क्या रणनीति

होली की छुटि्टयों के बाद 13 मार्च को कांग्रेस किसानों के मुद्दे पर राजभवन घेराव की योजना बना रही है, हालांकि इसे लेकर आधिकारिक तौर पर फैसला नहीं हुआ है। एक दो दिन में कमलनाथ के साथ चर्चा करके इसका ऐलान हो सकता है।

जीतू पटवारी ने विधानसभा में हुई बहस का वीडियो शुक्रवार को जारी किया। इसमें पटवारी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री जी आपने 2016, 2019 में, एक लाख बार कहा कि किसानों की आय दोगुनी करेंगे। मैंने 10 बार पूछा, राज्यपाल के अभिभाषण की बात है। 2016 के अभिभाषण में कहा- किसानों की आय दोगुनी करनी है। 2018 के अभिभाषण में कहा, शेरपुर सीहोर में प्रधानमंत्री को लेकर आए। वहां कहा कि किसानों की आय दोगुनी करनी है। मुझसे कहा कि जानकारी एकत्रित कर रहे हैं, आंकड़े एकत्रित कर रहे हैं। इस पर हर्ष विजय गहलोत के सवाल के जवाब में कहा कि हमने ऐसा कभी भी नहीं कहा। मंत्री जी दोनों प्रश्नों का उत्तर दिखवा लीजिए, जो सरकार ने दिए थे। एक सरकार के दो- दो तरह के जवाब हैं। ये सरकार है कि सर्कस।

पटवारी आगे कहते हैं...दूध में किसानों की आय बढ़ी नहीं, बल्कि घटी है। लागत बढ़ी है। नतीजा, प्रदेश में दूध का उत्पादन घटा है। पिछले 15 साल से सरकार कह रही है कि हम किसानों की आय दोगुनी करेंगे, लेकिन किसानों की आय घटी है। खेती के लिए फ़र्टिलाइज़र और उपयोग में लाए जाने वाले संसाधनों की कीमतें बढ़ी हैं।

अविश्वास प्रस्ताव पर आगे क्या?
मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व प्रमुख सचिव भगवानदेव इसरानी ने बताया कि इसे अध्यक्ष को हटाने के लिए संकल्प कहते हैं। सूचना के 14 दिन बाद इसे सदन पटल पर रखा जाएगा। अध्यक्ष इसके समर्थन और विरोध में विधायकों से सहमति मांगेंगे। 10 % विधायक यदि इसके समर्थन में सहमति देते हैं, तो इस पर फिर अध्यक्ष चर्चा के लिए तारीख तय करेंगे। जिस दिन इस संकल्प पर मत विभाजन होगा, उस दिन अध्यक्ष अपनी सीट पर नहीं रहेंगे। मप्र विधानसभा में वर्तमान में कोई उपाध्यक्ष नहीं है। लिहाजा, सभापति सूची में से किसी को आसंदी पर बिठाकर या तो हां-ना में निर्णय कराया जाएगा। यदि वोटिंग की स्थिति आई तो फिर मतदान भी कराया जा सकता है। यदि दोनों पक्षों के बराबर वोट आते हैं, तो ऐसे में अध्यक्ष अपना मत देते हैं।

मध्यप्रदेश विधानसभा की कार्यवाही 13 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी गई है। आज बजट सत्र के पांचवें दिन स्पीकर गिरीश गौतम के खिलाफ कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव दिया। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ विधानसभा के प्रमुख सचिव को विशेषाधिकार हनन की सूचना दी। 

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ