- कैश बुक तक नहीं बनाई बाबू ने, अफसरों ने भी कभी चेक नहीं किया, 29 आरोपियों के खिलाफ केस बना, पकड़ाए सिर्फ 5
कलेक्टोरेट में काम करने वाले बाबू मिलाप चौहान और उसकी टीम ने जो गबन किया था, उसे एक महीना बीत गया। 22 मार्च को यह मामला सामने आया था, अब तक इस मामले में कई नए खुलासे और बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। मिलाप से प्रारंभिक रूप से 5.67 करोड़ का गबन सामने आया था, लेकिन जांच के बाद यह राशि बढ़ती ही जा रही है। कई खाते ऐसे हैं जिनकी डिटेल अब तक नहीं मिली है।
चौंकाने वाली जानकारी यह सामने आई है कि मिलाप का वेतन तो मात्र 30 हजार रुपए है, लेकिन दिसंबर 2021 से मार्च 2023 के 15 महीने में उसने पेमेंट एप के माध्यम से 250 से ज्यादा ट्रांजेक्शन किए। इनके जरिये करीब साढ़े 43 लाख रुपए ट्रांसफर किए। यदि 15 महीने का वेतन जोड़ें तो मात्र साढ़े 4 लाख रुपए होता है। एक चौंकाने वाली जानकारी ट्रेजरी विभाग को यह भी मिली है कि तीन साल तक वह हितग्राहियों और अन्य अकाउंट के नाम पर पैसे अपने खातों में डालता रहा, लेकिन उसका रिकॉर्ड किसी भी तरह की कैश बुक में दर्ज नहीं किया गया। जबकि किसी भी अकाउंट रखने वाले को कैश बुक या बही खाता में उसकी इंट्री जरूर करना होती है, लेकिन मिलाप ने ऐसा नहीं किया। इतना ही नहीं संबंधित डीडीओ ने भी इसे क्रॉस चेक नहीं किया। मामले की जांच कर रहे अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ फिलहाल ट्रेनिंग पर हैं। वहीं कलेक्टर ने बाबू सहित डीडीओ की विभागीय जांच के आदेश भी जारी कर दिए हैं।
कई ट्रांजेक्शन ऐसे भी जो फेल हुए
प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि मिलाप ने 30 खातों में ट्रांजेक्शन किया। जो हितग्राही या फर्मों के नाम से थे, उनकी जानकारी तो सामने आ रही है। बावजूद कई ऐसे ट्रांजेक्शन भी थे जो फेल हुए। यह खाते या तो हितग्राही के थे जो अपनी राशि लेने नहीं आए या उन्हें जानकारी ही नहीं थी। कुछ फर्जी तरीके से भी फेल्ड बताए हो सकते हैं। इनका अमाउंट तो एक जगह इकट्ठा हो गया, लेकिन कितने ट्रांजेक्शन फेल होकर इकट्ठा हुए, इसका पता लगाना बाकी है।
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