शिप्रा शुद्धीकरण को लेकर एक संत ने मोर्चा संभाला है। संत ने प्रतिज्ञा ली है कि जब तक शिप्रा नदी का शुद्धिकरण नहीं होगा, तब तक वे चप्पल नहीं पहनेंगे। उन्होंने इसके लिए बीते पांच माह से अन्न त्याग दिया है और अब वे सिर्फ फल और दूध ग्रहण कर रहे हैं। जल्द ही वे शिप्रा नदी के घाटों पर बैठकर अनशन करेंगे।
शिप्रा नदी में मिल रहे गंदे नाले, प्रदूषित होती शिप्रा नदी और इंदौर से आने वाली कान्ह नदी के गंदे पानी के शिप्रा के जल में लगातार मिलने की खबरों के बीच मंगलनाथ रोड पर भगवान अंगारेश्वर मंदिर के पास दादू आश्रम के ज्ञानदास बीते पांच माह से अनशन पर है। उन्होंने शिप्रा नदी की दुर्दशा पर चिंता जाहिर करते हुए 5 नवम्बर से चप्पल छोड़ दी है साथ ही उन्होंने भोजन त्याग कर सिर्फ फल और दूध ही लेने का फैसला किया है। अनशन कर रहे ज्ञानदास महाराज ने बताया कि पहले भी अनशन किया था तब अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों ने आश्वासन दिया था की जल्द ही मांग पूरी कर दी जाकर शिप्रा में मिल रहे गंदे नालो को बंद कर दिया जाएगा। लेकिन आज भी स्थिति जस की तस दिखाई दे रही है। इसलिए पांच महीनो से अनशन आकर रहा हु।
शिप्रा के घाट पर बैठने की तैयारी
संत ज्ञानदास ने बताया कि शिप्रा नदी की दुर्दशा पर किसी को चिंता नहीं है। अनशन मेने अपने आश्रम से शुरू किया था। अब जल्द ही शिप्रा नदी के तपते घाटों पर बैठकर अनशन करूँगा। घाट पर बैठकर जाप करूँगा, ताकि जिम्मेदारों की नींद खुले। इससे पहले भी षट्दर्शन साधु समाज, तेरह अखाड़े के संत एकत्रित होकर प्रदर्शन कर चुके है। कांग्रेस नेत्री नूरी खान भी शिप्रा नदी के लिए प्रदर्शन कर चुकी है जिसमे वे डूबते डूबते बची थी।
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