जिस तरह तेल कंपनियां पेट्रोल-डीजल के दाम रोज बढ़ाती-घटाती हैं, ठीक उसी तरह बिजली कंपनियां भी हर महीने बिजली का फ्यूल कॉस्ट चार्ज तय कर सकेंगी। इसके लिए उन्हें विद्युत नियामक आयोग के अप्रूवल की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दरअसल, केंद्र सरकार ने विद्युत नियम 2005 में एक संशोधन किया है। इसमें हर महीने फ्यूल काॅस्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) तय करने का काम बिजली कंपनियों को दे दिया गया है।
मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने भी इस अप्रूवल को मंजूरी दे दी है। लेकिन, इसका असर आम उपभोक्ताओं के बिजली बिल पर जरूर पड़ेगा। इसका फॉर्मूला फिलहाल तय किया जा रहा है। इस चार्ज का नाम भी बदलकर एफसीए की जगह फ्यूल एंड पावर पर्चेस एडजस्टमेंट सरचार्ज (एफपीपीएएस) कर दिया गया है। नए संशोधन के मुताबिक बिजली कंपनियां घटाए या बढ़ाए गए फ्यूल कॉस्ट को लेकर साल के आखिर में ही आयोग के सामने सत्यापन याचिका लेकर जाएंगी।
300 यूनिट के बिल में 102 है ये चार्ज
अभी बिजली उपभोक्ताओं से 34 पैसे प्रति यूनिट एफसीए वसूला जा रहा है। महीने भर में 300 यूनिट बिजली खपत करने वालों को इसके एवज में ₹102 देने पड़ रहे हैं। अगले 1 या 2 दिन में बिजली कंपनियां नए चार्ज के रूप में अप्रैल से इसकी वसूली करेंगी। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी अभी इसका फॉर्मूला तय कर रही है। नए संशोधन में एफसीए के अलावा बिजली खरीदी लागत में वृद्धि को हुई जोड़ दिया गया है। इसके लिए भी अब बिजली कंपनी को नियामक आयोग की जरूरत नहीं होगी।
हर दूसरे महीने घट-बढ़कर आएगा बिल
एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी इसी महीने से यह फंडा अडॉप्ट कर लेगी। इसके बाद हमें मिलने वाले बिलों में हर दूसरे महीने गणित बदला हुआ मिलेगा। हाल ही में मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए जारी किए गए बिजली दरों के टैरिफ ऑर्डर में फिक्स चार्ज एवं एनर्जी चार्ज वसूलने का आंकलन किया है उस पर यदि बिजली कंपनी को वास्तविक बिल के आधार पर ज्यादा भुगतान करना पड़ा तो शेष अंतर की राशि फ्यूल के नए चार्ज को प्रति यूनिट प्रतिशत के हिसाब से वसूला जाएगा। यदि अप्रैल में यह बढ़ाया गया तो गया तो जून के बिलों में जुड़कर आएगा। अभी तक यह हर चौथे महीने वसूला जा रहा था।
अभी यह है व्यवस्था
बिजली वितरण की तीनों कंपनी की ओर से एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी हर तिमाही के लिए फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट के लिए आयोग से अप्रूवल लेती हैं।
इसमें मनमानी नहीं होगी
बिजली कंपनियां घाटा या राजस्व जरूरत और फ्यूल कॉस्ट चार्ज देखकर ही तय कर सकेंगी, क्योंकि साल में दो बार रेगुलेटर भी एफपीपीएएस वेरीफाई करेगा। ऐसा नहीं है कि मनमानी हो, आयोग द्वारा सालाना राजस्व जरूरत (एआरआर) के गणित में भी इसे देखा जाएगा। हम इस पर बराबर नजर रखेंगे।
- संजय दुबे, प्रमुख सचिव ऊर्जा विभाग, मप्र
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