अकसर सरकारी आदेशों पर अमल में देरी के मामले में सामने आते हैं। लेकिन, किसी आदेश में सात साल का लंबा समय लगा हो ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है। मामला सरकारी विभागों में कार्यरत स्थाई कर्मचारियों से जुड़ा हुआ है। दरअसल, सामान्य प्रशासन विभाग ने 7 अक्टूबर 2016 को एक आदेश जारी किया था। सात साल बाद 7 अप्रैल को सिर्फ रतलाम जिला प्रशासन ने आदेश पर सुध ली। आश्चर्य यह कि 52 जिलों के अफसरों की नींद नहीं खुली। उधर, सरकार ने भी आउटसोर्ट से रिक्त पदों पर भर्ती कर रही है।
दरअसल, वर्ष 2016 में स्थाई कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों पर नियमित करने के लिए आदेश जारी किया गया था। तब सामान्य प्रशासन विभाग ने प्रदेश के सभी कलेक्टरों को निर्देशित किया कि स्थाई कर्मचारियों को नियमित करने संबंधित कार्रवाई की जाए। मंत्रालय ने सात पन्नों के आदेश में चयन प्रक्रिया भी की। जब आदेश का पालन नहीं हुआ तो मंत्रालय ने एक नहीं बल्कि दो-दो रिमाइंडर भी जारी किए गए। रिमाइंडर का नजीता भी सिफर ही निकला। बता दें कि रतलाम जिला प्रशासन ने भी स्थाई कर्मचारियों के जारी आदेश में मंत्रालय के आदेश का उल्लेख किया है।
अफसरों ने नहीं किया अमल सरकार ने जारी किया नया आदेश
शासकीय दैनिक वेतनभोगी और स्थाई कर्मचारियों के मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांताध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि अफसरों की बड़ी लापरवाही का खामियाजा अब निलचे स्तर के कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। सात साल में तक आदेश पर अमल नहीं होने से सरकार ने नया फरमान जारी किया। इसमें रिक्त पदों पर आउटसोर्सिंग के जरिए भर्ती करने के आदेश जारी किए गए। उन्होंने बताया कि इस मनमानी के खिलाफ अब कर्मचारी न्यायालय में याचिका दर्ज करेंगे।
48 हजार से ज्यादा एमपी में स्थाई कर्मचारी
मध्यप्रदेश में तमाम सरकारी विभागों में 48 हजार से अधिक स्थाई कर्मचारी हैं। जबकि 28 हजार पदों पर भर्ती की जानी है। यदि 2016 से सामान्य प्रशासन विभाग के जारी आदेश पर अमल होता तो स्थाई कर्मचारियों का प्रावधानों के तहत नियमितीकरण होता। बता दें कि सर्वाधिक दैनिक वेतन भोगी और स्थाई कर्मचारियों की संख्या नगरीय विकास एवं आवास विभाग में है। बता दें कि लंबे समय से नियमितिकरण की मांग को लेकर कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं।
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