प्रदेश का सबसे बड़ा आदिवासी जिला धार। 12 आदिवासी ब्लॉक और 13वां सामान्य। जिले की हर सीमा अंतरराज्यीय। इसी का फायदा उठा रहे शराब माफिया, क्योंकि ड्राय स्टेट गुजरात जाने के लिए धार जिले के अंदर से ही होकर गुजरना होता है और गुजरात सीमा से लगे झाबुआ-आलीराजपुर के ग्रामीण अंचल से आसानी से शराब दूसरे राज्य पहुंच जाती है। इसके लिए माफिया तीन तरीके अपनाते हैं।
पहला जिस ट्रक में ठेके वाली दुकान के लिए शराब भरी जाती है, उसकी बिल्टी-चालान के नंबर पर दो और ट्रकों में अवैध शराब भरवा दी जाती है। दूसरा ठेकेदार जब दुकान महंगे दामों पर ले लेते हैं और उसका माल नहीं बिकता, तब अवैध शराब भेजी जाती है। तीसरा कुछ माफिया स्प्रिट से नकली शराब बनाकर सप्लाय करते हैं। धार जिले से अभी धड़ल्ले से अवैध शराब की सप्लाय हो रही है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आबकारी व पुलिस ने 42 दिन में 386 केस दर्ज कर 5 करोड़ रुपए की अवैध शराब जब्त की है, जबकि आरोपी 277 पकड़े गए हैं। भास्कर ने मामले की पड़ताल की तो पता चला कि दूध के वाहन से लेकर कंटेनर तक में अवैध शराब की सप्लाय हो रही है। इसमें से सबसे ज्यादा शराब ड्राय स्टेट गुजरात भेजी जा रही है। वहां शराब के दाम ज्यादा मिल जाते हैं। इसलिए धार के बाद झाबुआ, आलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन, इंदौर और उज्जैन सहित आसपास के जिलों से भी अवैध शराब गुजरात भेजी जा रही है।
सेटिंग ऐसी कि 14 थाने व चौकियों को क्रॉस कर आसानी से निकल जाते हैं वाहन
धार जिले के सेजवाया शराब फैक्टरी से एक लाइसेंस पर तीन गाड़ियां निकलती हैं। ये गाड़ियां धार जिले की लेबड़ चौकी, नौगांव, तिरला, सरदारपुर, अमझेरा, राजगढ़ थाने को क्रॉस करती है। इसके बाद झाबुआ जिले के कालीदेवी और झाबुआ थाना क्षेत्र से बकायदा गाड़ी पास हो जाती है। इसी प्रकार आलीराजपुर के चांदपुर, सेजावाड़ा, बरझर, बखतगढ़, छकतला, कट्ठीवाड़ा से गाड़ियां आसानी से क्रास होकर गुजरात निकल जाती है। पुलिस व आबकारी विभाग बमुश्किल पांच प्रतिशत वाहन ही पकड़ पाते हैं। इससे साफ है कि बगैर सेटिंग के गाड़ियां पास नहीं हो सकती है।
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