राज्य शिक्षा केंद्र (आरएसके) ने इस वर्ष 5वीं और 8वीं की परीक्षाएं बोर्ड पैटर्न पर ली थीं। दोनों ही कक्षाओं के परीक्षा परिणाम चौकाने वाले रहे हैं। प्रदेश के हजारों स्कूल ऐसे हैं, जिनमें एक भी स्टूडेंट पास नहीं हुआ है। अकेले इंदौर शहर में 135 स्कूलों का रिजल्ट शून्य रहा है। वहीं 754 स्कूल ऐसे हैं जिनमें उत्तीर्ण हुए विद्यार्थियों की संख्या दहाई अंक तक नहीं पहुंची है। वह भी तब जबकि संभाग मुख्यालयों में इंदौर का रिजल्ट सबसे अच्छा रहा है।
खराब रिजल्ट वाले इन स्कूलों में 90 प्रतिशत विद्यार्थी निजी स्कूलों के हैं। भास्कर की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि आरएसके ने हिंदी मीडियम वाले सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से इंग्लिश मीडियम वाले निजी स्कूलों के विद्यार्थियों की कॉपी जंचवाई थी। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारी ने भी माना कि रिजल्ट में कई तरह की गलतियां हुई हैं। इन्हें ठीक करेंगे सोमवार को नई गाइडलाइन जारी करेंगे।
रि-वेल्युशन और रि-टोटलिंग नहीं
आरएसके ने 5वीं एवं 8वीं की परीक्षा तो बोर्ड पैटर्न पर ली लेकिन रि-वेल्युशन और रि-टोटलिंग की व्यवस्था खत्म कर दी। यदि स्टूडेंट्स को यह सुविधा मिले तो शून्य रिजल्ट वाले स्कूलों की कॉपियां जांचने में हुई गड़बड़ी की पोल खुल सकती है। जबकि एमपी बोर्ड की ही 10वीं और 12वीं कक्षाओं के लिए यह सुविधा है।
काॅपी देखना बड़ा मुश्किल
रिजल्ट से अंतुष्ट विद्यार्थियों को कॉपी देखने की सुविधा दी गई है। लेकिन इसके लिए उन्हें उस जगह आवेदन देना होगा जहां कॉपी जांची गई है। इसके बाद उन्हें जिस तारीख पर बुलाया जाएगा उस दिन वहां कॉपी देखना होगी। जैसे इंदौर की कॉपी भोपाल तो उज्जैन की मंदसौर में जांची गई है। पांचवीं और आठवीं के विद्यार्थी इतनी दूर तक अकेले भी नहीं जा सकते।
जो गलती हुई, उसे सुधारेंगे
- एस. धनराजू, संचालक, आरएसके
सभी कॉपी हिंदी मीडियम के शिक्षकों से क्यों जंचवाई?
- हमसे गलती हुई है, उसे सुधार लेंगे।
पोर्टल पर नंबर चढ़ाने में भी कई गलतियां हुई हैं?
- कुछ बहुत स्वाभाविक गलतियां नजर आ रही हैं। हम इंटरनली क्रॉस चेक करवा रहे हैं।
रि-वैल्युशन और रि-टोटलिंग की सुविधा क्यों नहीं दी गई?
- सोमवार को नई गाइडलाइन जारी कर रहे हैं।
विद्यार्थियों को कॉपी देखने दूरस्थ जिले जाना पड़ेगा?
- इसका प्रोटोकाल बना रहे हैं। कॉपी स्थानीय स्तर पर भेजी जाएगी फिर बच्चे को उसे देखने का मौका देंगे।
व्यवस्था में सुधार किया जाना जरूरी
"कम शिक्षकों से कम समय में अधिक कॉपी जंचाने और इंग्लिश मीडियम के मूल्यांकनकर्ता नहीं होने से रिजल्ट बिगड़ा है। इस व्यवस्था में सुधार जरूरी है।"
- अभिषेक शिंदे, मीडिया प्रभारी, निजी स्कूल संघ
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़
"आरएसके की मनमानी नीतियों से बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है। इंग्लिश मीडियम की कॉपी हिंदी मीडियम के शिक्षक जाचेंगे तो नंबर देने में गलती की आशंका अधिक है।"
-चतुर सिंह यादव, न्यू आदर्श स्कूल, नेहरू नगर
अंक चढ़ाने में त्रुटि संभव
"जीरो रिजल्ट की वजह शिक्षकों द्वारा मोबाइल पर अंक चढ़ाने में तकनीकी त्रुटि हो सकती है। पुनर्मूल्यांकन एवं पुनर्गणना की सुविधा विद्यार्थियों को देना चाहिए।"
-भगवती प्रसाद पंडित, अध्यक्ष, राज्य आदर्श शिक्षक मंच
शून्य रिजल्ट में होगा सुधार
"संभागीय मुख्यालय वाले शहरों में इंदौर का रिजल्ट बेस्ट रहा है। जिन स्कूलों में शून्य रिजल्ट रहा है उनमें सुधार होगा। असफल बच्चों की दोबारा परीक्षा ली जाएगी।"
-अक्षय सिंह राठौर, डीपीसी, इंदौर
0 टिप्पणियाँ