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एडमिशन मैराथन:इस बार 7 हजार सीटें बढ़कर 89 हजार हो गईं, दूसरी तरफ 12वीं का रिजल्ट 17.44% घट गया, कॉलेजों की चिंता, कैसे भरेंगी सीटें

12वीं के कमजोर रिजल्ट ने एजुकेशनल हब इंदौर के कॉलेजाें की चिंता बढ़ा ही है। - Dainik Bhaskar

12वीं के कमजोर रिजल्ट ने एजुकेशनल हब इंदौर के कॉलेजाें की चिंता बढ़ा ही है।

12वीं के कमजोर रिजल्ट ने एजुकेशनल हब इंदौर के कॉलेजाें की चिंता बढ़ा ही है। परंपरागत कोर्स के कॉलेजों को सीटें खाली रह जाने का डर सता रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि एमपी बोर्ड 12वीं का रिजल्ट इस बार महज 55.28 फीसदी रहा है। पिछली बार की तुलना में यह 17.44 फीसदी कम है। कुल 7 लाख 26 हजार 39 में से सिर्फ 4 लाख 02 हजार 333 विद्यार्थी पास हुए हैं। पिछले साल अच्छा रिजल्ट होने के बाद भी डीएवीवी से संबद्ध ऑनलाइन एडमिशन प्रक्रिया में शामिल 141 और अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त 38 कॉलेजों में करीब 12 हजार से ज्यादा सीटें खाली रह गई थी।

उस वक्त कुल 82 हजार सीटें थीं। जबकि इस साल कॉलेजों में 7 हजार से ज्यादा नई सीटें जुड़ गई। अब कुल सीटें 89 हजार के आसपास हो गई हैं। 12वीं का रिजल्ट कमजोर रहने से बीए, बीकॉम, बीएससी, बीबीए, बीसीए, बीजेएमसी, एमए, एमकॉम, एमएससी जैसे कोर्स की सीटें भरने का संकट है।

यूजी-पीजी दोनों कोर्स की सीटों में हुआ है इजाफा
इस बार बीबीए में 2600 नई सीटें जुड़ी हैं। दाे शासकीय और 13 निजी कॉलेजाें में यह सीटें बढ़ाई गई हैं। यही नहीं बीकॉम और बीए में भी डेढ़-डेढ़ हजार सीटों का इजाफा हुआ है। जबकि बीएससी में 6 नए स्पेशलाइजेशन शुरू हुए हैं। इनकी 350 सीटें रहेंगी। पीजी में एमकॉम को छोड़ हर कोर्स की सीटें बढ़ी हैं। एमएससी अौर एमए की इस बार 700 नई सीटें जुड़ी हैं।

पिछले साल सरकारी और निजी कॉलेजों में ऐसी थी स्थिति

  • पिछले साल बीबीए की 95 फीसदी सीटें भरी थी। कई कॉलेजाें में 100 से 200 तक वेटिंग थी। शासकीय कॉलेज जीएसीसी में ही 76 एप्लीकेशन पेंडिंग रह गई थीं। बीए की भी खासी डिमांड रही थी।
  • सरकारी कॉलेजाें में बीए की 100 फीसदी सीटें भर गई थी। निजी में भी 97 फीसदी प्रवेश हुए थे। जीएसीसी में 50 वेटिंग थी। ओल्ड जीडीसी, न्यू जीडीसी में भी वेटिंग थी। वहीं सबसे ज्यादा डिमांड लॉ की रही थी।
  • सरकारी लॉ कॉलेज में सीटें भरने के बाद 300 वेटिंग थी। जबकि निजी कॉलेजों में भी 99 फीसदी सीटें भर गई थी।
  • बीएससी में हाेलकर साइंस, ओल्ड जीडीसी सहित सभी शासकीय कॉलेजाें में 98% सीटें भर गई थी। हाेलकर साइंस में जाे 18 फीसदी अतिरिक्त सीटें बढ़ाई गई हैं, उनमें से भी 14 फीसदी भर गई थी।
  • निजी कॉलेजाें में बीएससी स्पेशलाइजेशन की 10% तक सीटें खाली रह गई थीं।
  • बीकॉम की सरकारी में 95 और निजी कॉलेजों में 70 फीसदी सीटें ही भर पाई थी। पीजी में यही स्थिति एमकॉम की थी।
  • यूजी में जर्नालिज्म और बीएसडब्ल्यू जैसे कोर्स की सीटें भरने में भी दिक्कतें आई थी। इन दोनों कोर्स में मुश्किल से 85 फीसदी ही सीटें ही भर पाई थीं।

एक्सपर्ट व्यू - डॉ. एसएल गर्ग

इस बार बीबीए, लॉ व बीए पर ज्यादा संकट नहीं, बाकी कोर्स के सामने रहेगी चुनाैती

12वीं का रिजल्ट कमजोर आने का असर निश्चित तौर पर पड़ेगा। क्योंकि कॉलेजों में ज्यादा एमपी बोर्ड से 12 वीं पास करने वाले छात्र प्रवेश लेते हैं। वहीं सीबीएसई के जो छात्र सीयूईटी में चयनित नहीं हो पाएंगे, ‌उनके पास कॉलेजों का ही विकल्प होगा। कॉलेजों को अंतिम राउंड में ज्यादा छात्र मिल सकते हैं। यह भी अच्छी बात है कि इस बार सीयूईटी यूजी समय पर हो चुकी है। इसलिए काउंसलिंग भी समय पर होने की उम्मीद है। चूंकि 1 लाख 80 हजार से ज्यादा छात्रों ने सीयूईटी दी है और सीटें महज डेढ़ हजार ही हैं। छात्रों में लगभग 60 फीसदी इंदौर व प्रदेश के अन्य जिलों के हैं। इसलिए इन छात्रों के यहीं के कॉलेजों में प्रवेश लेने की संभावना ज्यादा रहेगी। इस बार भी लॉ, बीबीए में ज्यादा दिक्कतें नहीं हाेंगी। इन कोर्स की सीटें भरना तय हैं। लेकिन बीकॉम, बीए, बीएसडब्ल्यू, जर्नालिज्म, बीसीए और इनके स्पेशलाइजेशन, बीएससी के कुछ स्पेशलाइजेशन में सीटें भरना आसान नहीं होगा।

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