दो भाषाएं बोलने से अनजान जगह में दोस्त बनाने में आसानी होती है। इसके कई अन्य फायदे हैं। एक नई स्टडी से पता लगा है कि दो लैंग्वेज की जानकारी होने से अधिक आयु में याददाश्त अच्छी रहती है। जर्मनी में रिसर्चर्स ने सैकड़ों बुजुर्ग मरीजों की स्टडी में पाया कि कम आयु से हर दिन दो भाषाएं बोलने वाले लोगों ने सीखने,याददाश्त और आत्म नियंत्रण के मामले में उन मरीजों से ज्यादा अंक हासिल किए जो केवल एक भाषा बोलते हैं। न्यूरोबायोलॉजी ऑफ एजिंग जर्नल के अप्रैल अंक में प्रकाशित स्टडी में दो दशक की रिसर्च का ब्योरा दिया गया है। उसके अनुसार दो भाषाओं का ज्ञान होने से बुजुर्ग मतिभ्रम, संवेगों में गिरावट से सुरक्षित रहते हैं। स्टडी में शामिल कोलंबिया यूनिवर्सिटी में न्यूरोफिजिसिस्ट मिगुएल आर्से रेनटेरिया का कहना है, जीवन के शुरुआती दौर में दो भाषाएं जानने का अधिक आयु में अच्छा प्रभाव पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिकों ने एक से ज्यादा लेंग्वेज की समझ और बुढ़ापे में दिमाग की स्थिति के आपसी संबंधों पर रिसर्च की है।
कुछ स्टडी में पाया गया कि दो भाषा बोलने वाले लोगों की मानसिक सजगता में गिरावट एक भाषा बोलने वालों की तुलना में अधिक आयु में आती है। वैसे एक अन्य रिसर्च में ऐसा कोई फायदा नहीं बताया गया था।
न्यूरोसाइंटिस्ट का अनुमान है चूंकि द्विभाषी व्यक्ति दो लेंग्वेज के बीच तेजी से बदलाव करते हैं इसलिए वे मल्टी टास्किंग,भावनाओं पर काबू रखने और आत्म नियंत्रण जैसे मामलों में भी ऐसा ही कर सकते हैं। इससे बुढ़ापे में डिमेंशिया या मतिभ्रम जैसी समस्या देर से खड़ी होती है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में न्यूरोलॉजिस्ट बून लीड टी का कहना है, जीवन के अलग दौर में दो या अधिक लेंग्वेज की स्टडी एक अनूठी अप्रोच है। फिर भी, स्टडी का फोकस लंबी अवधि तक हर दिन दो भाषाएं बोलने के पहलू पर केंद्रित है।
मानसिक सजगता पर अच्छे प्रभाव के अन्य कारण भी हो सकते हैं। इस पहलू पर भी गौर करने की जरूरत है। अन्य विशेषज्ञों का कहना है यदि शोधकर्ताओं ने लोगों से यह भी जाना होता कि वे दूसरी लेंग्वेज हर दिन बोलने की बजाय सप्ताह में एक दिन बोलते हैं या अक्सर नहीं बोलते हैं, तब नतीजे अलग भी हो सकते थे। भविष्य की रिसर्च में इस पर ध्यान दिया जा सकता है।
फोकस करने और फैसले लेने की अच्छी क्षमता
नई स्टडी में 59 से 76 वर्ष के 746 लोगों का अध्ययन किया गया। लगभग 40 प्रतिशत लोगों में मेमोरी को लेकर कोई समस्या नहीं थी। बाकी लोग भ्रम या याददाश्त कम होने से प्रभावित पाए गए। 13 से 30 वर्ष या 30 से 65 वर्ष के जो लोग दूसरी लैंग्वेज का भी उपयोग कर रहे थे, उन्हें लैंग्वेज, मेमोरी,फोकस, और फैसले लेने की क्षमता में उन लोगों से अधिक अंक मिले जो उस आयु में दो भाषाओं का उपयोग नहीं करते थे।
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