जिला एवं सत्र न्यायालय के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश भगवती प्रसाद शर्मा ने वरिष्ठ पंजीयक को पत्र लिखकर कहा है कि नोटरी के आधार पर सब रजिस्ट्रार ने कैसे रजिस्ट्री करवा दी। इसकी जांच की जाना चाहिए। रजिस्ट्री होने के बाद उस संपत्ति को आसानी से किसी और को बेचा जा सकेगा। रजिस्ट्री करते वक्त लिंक रजिस्ट्री सहित अन्य दस्तावेज कैसे नहीं देखे गए।
दरअसल, हाई कोर्ट के समक्ष एक क्रिमिनल अपील पेश की गई थी। इस अपील पर हाई कोर्ट ने जिला कोर्ट को सुनवाई कर निराकृत करने के आदेश दिए थे। इसकी अपील को प्रधान जज ने सुनना प्रारंभ किया और दस्तावेजों की जांच की गई तो नोटरी से रजिस्ट्री कराए जाने का मामले सामने आया। अपीलकर्ता रामकरण कौशल की ओर से जमानत के स्वरूप एक घर की रजिस्ट्री पेश की गई थी। यह रजिस्ट्री सुमनबाई पति सत्यनारायण निवासी रामनगर की थी। सुमनबाई के पति सत्यनारायण ने सह-स्वामित्व की हैसियत से यह रजिस्ट्री पत्नी के नाम पर भी करवा दी थी।
कोर्ट ने पूछा- मकान मालिक कैसे बने
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सत्यनारायण से यह पूछा कि वह इस मकान का मालिक कैसे बना, रजिस्ट्री कैसे करवाई। सत्यनारायण ने कोर्ट को बताया कि इस मकान का इकरारनामा 13 अप्रैल 1996 को किया था। नोटरी के जरिए यह इकरारनामा हुआ था। मकान के कोई दस्तावेज नहीं हैं। इस नोटरी के आधार पर सब-रजिस्ट्रार ने 10 मई 2023 को रजिस्ट्री करवा दी। कोर्ट ने नोटरी और रजिस्ट्री की प्रति पत्र के साथ लगाकर आदेश दिए हैं कि मामले में उचित कार्रवाई करें।
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