- जहां एक समय पुरुषों में ही नशे की लत अधिक थी, वहीं पिछले कुछ सालों में महिलाओं में भी नशे का चलन बढ़ा है। लेकिन दोनों ही शरीरों पर पड़ने वाले प्रभावों में काफ़ी भिन्नता है। जानिए, इस लेख के माध्यम से।
देश में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में नशे की लत एक गम्भीर समस्या बन चुकी है। कोई शराब का नशा करता है तो कोई तम्बाकू, मादक द्रव्य, चरस, गांजा, अफ़ीम का नशा कर अपने पूरे शरीर को नुक़सान पहुंचा रहा है। नशे को लेकर किए गए एक शोध में यह बात पता चली कि तक़रीबन 7.13 करोड़ भारतीय तरह-तरह के नशों की गम्भीर लत से जूझ रहे हैं। नशे की लत से पुरुषों एवं महिलाओं में कई प्रकार की शारीरिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं जिनमें किडनी की बीमारी, हृदय से सम्बंधित समस्या, लिवर से जुड़ी समस्या के साथ कैंसर होने की आशंका भी बनी रहती है। नशा करने वाले पुरुषों एवं महिलाओं को अंत में भिन्न-भिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
पुरुषों में होने वाले नुक़सान
फेफड़ों को क्षति : पुरुषों में धूम्रपान करने की आदत भी बहुत अधिक होती है और वे इसी धूम्रपान के कारण अपने फेफड़ों को नुक़सान पहुंचाते हैं। धूम्रपान से व्यक्ति को अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी बीमारियां हो सकती हैं। धूम्रपान की लत से पुरुषों के फेफड़े धीरे-धीरे क्षतिग्रस्त होने लगते हैं जिससे बाद में उन्हें सांस लेने में भी बहुत दिक़्क़तें आती हैं।
किडनी पर सीधा असर : किडनी से सम्बंधित समस्याएं शराब के अधिक सेवन से होती हैं क्योंकि शराब में अल्कोहल की मात्रा बहुत अधिक पाई जाती है जिसका सीधा असर किडनी व लिवर पर पड़ता है। जब किडनी ख़राब होने लगती है तो पाचन से सम्बंधित समस्याएं भी शुरू हो जाती हैं। यदि किडनी ज़्यादा क्षतिग्रस्त हो जाती है तो अंत में सिर्फ़ किडनी प्रत्यारोपण ही एक उपाय बचता है।
आंखों पर पड़ता है प्रभाव : नशे के अत्यधिक सेवन से कई प्रकार की मानसिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं और तनाव के चलते लोग कई बार आत्महत्या तक का क़दम उठा लेते हैं। विटामिन बी-1 (थियामिन) की कमी के कारण नशेड़ियों की आंखों की मांसपेशियों में कमज़ोरी हो सकती है जिस कारण दृष्टि दोष की समस्या भी उत्पन्न हो जाती है।
हड्डियों की कमज़ोरी : अत्यधिक नशे से नई हड्डी बनने में परेशानी हो सकती है। इससे हड्डी का पतला होना जिसे ऑस्टियोपोरोसिस भी कहते हैं और फ्रैक्चर का ख़तरा भी बहुत हद तक बढ़ जाता है क्योंकि नशे के चलते अस्थिमज्जा को नुक़सान पहुंचता है। अस्थिमज्जा में ही रक्त कोशिकाएं बनती हैं, इसी कारण प्लेटलेट्स भी कम हो सकते हैं जिसके चलते चोट लगने पर अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है।
स्त्रियों में होने वाले नुक़सान
स्तन कैंसर का ख़तरा : नशे की लत से महिलाओं में सबसे ज़्यादा स्तन कैंसर होने का ख़तरा होता है। पिछले सालों में अन्य कैंसर की अपेक्षा स्तन कैंसर से दस गुना अधिक महिलाओं की मौत हुई है।
शराब पचाने में दिक़्क़त : महिलाओं में नशे की लत के कारण लिवर के ख़राब होने की आशंका अत्यधिक रहती है। आजकल महिलाओं में शराब पीने की लत वैश्विक स्तर पर बहुत बढ़ रही है। विश्व में साल 2000 से 2015 के बीच शराब पीने वाली क़रीब 57 फ़ीसदी महिलाओं की मौत लिवर ख़राब होने की वजह से हुई, जिनमें मरने वाली औरतों की उम्र 45 से 64 साल के बीच थी, जबकि पुरुषों की संख्या 21 फ़ीसदी थी। वैज्ञानिकों के अनुसार, अल्कोहल पचाने के लिए लिवर से अल्कोहल डी-हाइड्रोजिनेस नाम का एंज़ाइम निकलता है। महिलाओं में ये एंज़ाइम कम निकलता है, इसकी वजह से उनके लिवर को शराब पचाने के लिए ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती है।
भूलने की बीमारी : अत्यधिक नशे के सेवन से महिलाओं का तंत्रिका तंत्र भी प्रभावित होता है जिससे उम्र बढ़ने के साथ उनमें हाथों और पैरों का सुन्न होना और दर्द, भूलने की बीमारी, कई प्रकार की मानसिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
गर्भावस्था विकार : नशे की लत के चलते महिलाओं में गर्भधारण से भी सम्बंधित कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हंै। यदि वे गर्भावस्था के दौरान नशीले पदार्थों का सेवन किसी भी रूप में करती हैं तो गर्भपात होने का ख़तरा बना रहता है। इस कारण फीटल अल्कोहल स्पेक्ट्रम विकार यानी एफएएसडी भी हो सकता है। एफएएसडी एक बच्चे को शारीरिक और मानसिक समस्याओं के साथ पैदा कर सकता है जो जीवन भर चलती हैं।
नशे से होने वाले कैंसर
नशे की लत से महिलाओं एवं पुरुषों में कई प्रकार के कैंसर होने की आशंका बनी रहती है जिनमें गले का कैंसर, मुंह का कैंसर, इसोफेगस कैंसर, लिवर कैंसर, वॉइस बॉक्स का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर और स्तन कैंसर शामिल हैं। यदि महिलाओं की बात की जाए तो शराब आदि के सेवन से स्तन को सबसे अधिक नुक़सान पहुंचता है।
3,20,000 से अधिक महिलाओं पर किए गए अध्ययनों में, शोधकर्ताओं ने पाया कि एक दिन में दो या उससे अधिक गिलास शराब के सेवन से स्तन कैंसर होने के आसार 41 प्रतिशत बढ़ जाते हैं।
वहीं पुरुषों में कोलोरेक्टल, लिवर व फेफड़े के कैंसर होने की आशंका होती है। इसके साथ ही तम्बाकू, धूम्रपान, खैनी इत्यादि से पुरुषों में सिर एवं गले के कैंसर भी होते हैं।
विश्व में सिर एवं गले के कैंसर के रोगी सभी कैंसर रोगियों में 4.5 फ़ीसदी हैं। जबकि भारत में नेशनल कैंसर सर्वे के अनुसार 25-30 फ़ीसदी हैं। इसलिए कैंसर से बचने के लिए ज़रूरी है कि आप नशे से दूर रहें और किसी भी प्रकार के कैंसर से सम्बंधित लक्षण दिखें तो तुरंत जांच करवाएं।
-डॉ. चंद्रकांत एम.वी. कंसल्टेंट, मेडिकल एंड हेमाटो आंकोलॉजी, आरएन टैगोर हॉस्पिटल, कोलकाता
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