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उत्तराखंड के पंच केदार में से एक है तुंगनाथ:पांडवों से जुड़ा है तुंगनाथ मंदिर का इतिहास, ट्रैकिंग के लिए भी प्रसिद्ध है ये मंदिर

उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री ग्रीष्म काल के लिए खुल गए हैं। इन मंदिरों में केदारनाथ शिव जी का धाम है। इसके साथ ही उत्तराखंड में 4 शिव मंदिर और हैं, जिनका इतिहार बहुत पुराना है। शिव जी के इन पांच मंदिरों को पंच केदार कहा जाता है।

पंच केदार में केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर मंदिर शामिल हैं। तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में करीब 3600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये शिव मंदिर सबसे ऊंचाई पर स्थित है। यहां का प्राकृतिक वातावरण इस मंदिर की खासियत है। ट्रैकिंग पसंद करने वाले लोगों को ये क्षेत्र काफी लुभाता है। तुंगनाथ दर्शन के लिए सोनप्रयाग पहुंचना होता है। इसके बाद गुप्तकाशी, उखीमठ, चोपटा होते हुए तुंगनाथ मंदिर पहुंच सकते हैं।

मंदिर से जुड़ी मान्यताएं

इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। इस जगह का संबंध महाभारत काल से भी है। मंदिर के बारे में कथा प्रचलित है कि इसे पांडवों ने बनावाया था। महाभारत युद्ध में मारे गए लोगों की वजह से पांडव काफी दुखी थे। वे शांति पाने के लिए हिमालय आए थे। उस समय उन्होंने शिव जी को प्रसन्न करने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक अन्य मान्‍यता के मुताबिक माता पार्वती ने भी यहां तप किया था।

तुंगनाथ मंदिर से करीब 1.5 किमी दूर चंद्रशिला पीक है। इसकी ऊंचाई करीब 4000 मीटर है। चोपटा से तुंगनाथ एक ओर की ट्रेकिंग में करीब 1.30 घंटे का समय लगता है। तुंगनाथ उत्‍तराखंड में गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में एक पर्वत पर स्थित है।

ये हैं पंचकेदार से जुड़ी खास बातें

केदारनाथ धाम - पंच केदार में से एक केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। ये राज्य के चारधाम में भी शामिल है।

तुंगनाथ मंदिर - तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। पंच केदार में ये मंदिर सबसे ऊंचाई पर स्थित है।

रुद्रनाथ मंदिर - रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखण्ड के चामोली जिले में है। रुद्रनाथ मंदिर में शिवजी के एकानन यानी मुख की पूजा की होती है।

मध्यमहेश्वर मंदिर - ये मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां शिवजी की नाभि की पूजा की जाती है।

कल्पेश्वर मंदिर - इस मंदिर में शिवजी की जटाओं की पूजा की जाती है। ये मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है।

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