मप्र के युवाओं में वकील बनने की रुचि बढ़ती दिख रही है। 2020 तक प्रदेशभर में जहां लगभग तीन हजार युवा हर साल औसतन मप्र स्टेट बार काउंसिल में पंजीयन कराते थे, वहीं 2021 से ये आंकड़ा छह हजार को छू रहा है। इसमें भी अगर जिलेवार तुलना करें तो इंदौर के युवा प्रदेश में सबसे सबसे आगे रहे जबकि ग्वालियर चाैथे नंबर पर है।
मप्र स्टेट बार काउंसिल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इंदौर में बीते पांच साल (2018 से 2022) में कुल 3520 वकीलों ने पंजीयन कराया। ये आंकड़ा प्रदेश में सर्वाधिक है। इंदौर का नंबर वन होना इसलिए भी चौकाने वाला है क्योंकि मप्र हाई कोर्ट की इंदौर बेंच का कार्यक्षेत्र केवल 13 जिलों तक है, जबकि प्रिंसिपल सीट जबलपुर के कार्यक्षेत्र में कुल 22 जिले आते हैं। इसके बाद भी जबलपुर, इंदौर से पीछे हैं। ग्वालियर की बात करें तो प्रदेश की लिस्ट में वह राजधानी भोपाल से भी पीछे है।
जानिए वो तमाम कारण, जिसने इंदौर काे बनाया नंबर-1
- इंदौरवासियों की कोर्ट प्रकरणों में भुगतान करने की क्षमता ज्यादा है। कारण- इंदौर प्रदेश की आर्थिक राजधानी है, जहां लोगों की आर्थिक स्थिति अन्य शहरों के लोगों की तुलना में काफी बेहतर है।
- इंदौर में आर्थिक अपराधों की संख्या ज्यादा है, जबकि भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर में आपराधिक प्रकरणों की संख्या तुलनात्मक रूप से ज्यादा रहती है। आर्थिक अपराध में वकीलों को अच्छी फीस मिलती है।
- अधिकांश बड़ी कॉर्पोरेट फर्म्स, कंपनियों के कार्यालय इंदौर में हैं। इन कंपनियों में लॉ ऑफिसर के साथ ही एक टीम भी होती है, जो कंपनी के लीगल मामलों को डील करती है। इन कंपनियों में बड़ी संख्या में वकीलों को नियुक्त किया जाता है।
- कंपनी रजिस्ट्रार कार्यालय भले ही ग्वालियर में है, लेकिन इससे जुड़े मामलों की सुनवाई इंदौर में होती है। यानी कि प्रदेशभर के मामलों की सुनवाई केवल इंदौर स्थित कोर्ट में होती है।
- काम मिलने की संभावनाएं ज्यादा होने के कारण भोपाल और ग्वालियर के भी कई वकील इंदौर में जाकर प्रैक्टिस कर रहे हैं।
- इन तमाम कारणों के चलते ही इंदौर के जिला न्यायालय में लंबित केसों की संख्या सबसे ज्यादा है। जबलपुर, भोपाल और ग्वालियर लंबित केसों के मामले में इंदौर से काफी पीछे हैं।
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