काेरोना के बाद से क्रोनिक डिसीज तेजी से बढ़ रही हैं। कम उम्र में ही हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट डिसीज, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियां हो रही हैं। आज योग दिवस पर मुंबई योग इंस्टीट्यूट की योग गुरु हंसा जी योगेंन्द्र और याेग इंस्ट्रक्टर सौरभ बोथरा से जानिए कि वो कौन-से सरल योग और प्राणायाम हैं जो इन बीमारियों से बचा सकते हैं।
1. दिल की बीमारियां: भुजंगासन दिल की मांसपेशियां मजबूत करके रक्त प्रवाह सुधारता है
आसन: भुजंगासन और सेतुबंधासन हृदय की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं। ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं। पीठ, फेफड़ों, कंधों, सीने और पेट के निचले हिस्से को इससे अच्छा खिंचाव मिलता है और लचीलापन आता है।
प्राणायाम: अनुलोम-विलोम प्राणायाम फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और हृदय को भी स्वस्थ करते है। यह श्वसन प्रक्रिया को नियमित करते हैं। रक्त व शरीर के सभी अंगों तक पर्याप्त आक्सीजन पहुंचाने में मददगार हैं।
2. कैंसर: ताड़ासन शरीर में ऊर्जा का स्तर सुधारकर उसे लचीला बनाता है
आसन: वैसेे योग कैंसर का इलाज नहीं कर सकता, लेकिन ताड़ासन और त्रिकोणासन जैसे आसन एनर्जी लेवल में सुधार करते हैं और शरीर में लचीलापन बढ़ाते हैं। कैंसर रोगियों के लिए भी ये उपयोगी हैं। इससे चिंता और तनाव से राहत मिलती है। मांसपेशियों और नर्वस सिस्टम को मजबूत बनाता है।
प्राणायाम: गहरी सांस वाले उज्जायी प्राणायाम से चिंता कम करने और कैंसर के उपचार के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। इससे शरीर की दूषित वायु बाहर निकल जाती है और शरीर में अधिक स्वच्छ और गर्म वायु पहुंचती है।
टिप्स: कैंसर की रोकथाम के लिए पूरे शरीर को स्वस्थ रखने वाले योग नियमित करना चाहिए। योग कैंसर पीड़ित को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा देने में भी उपयोगी है।
3. मोटापा: सूर्य नमस्कार भोजन से कैलाेरी लेने की प्रकिया सुधारता है
आसन: सूर्य नमस्कार वजन नियंत्रित करता है। यह मेटाबोलिज्म यानी भोजन से कैलाेरी लेने और उसे ऊर्जा में बदलने की प्रक्रिया सुधारता है। शरीर टोन होता है। इससे शरीर में स्फूर्ति आती है।
प्राणायाम: जब आप कपालभाति और भस्त्रिका प्राणायाम करते हैं तो इससे ऊर्जा का भरपूर इस्तेमाल होता है। इससे वजन संतुलित बना रहता है और पाचन क्षमता में सुधार होता है।
टिप्स: संतुलित कैलोरी-नियंत्रित आहार और नियमित योग अभ्यास तीनों के मेल से वजन नियंत्रित होता है।
4. डायबिटीज: कोणासन पेंक्रियाज को सक्रिय कर इंसुलिन बढ़ाता है
आसन: कोणासन और पश्चिमोत्तानासन का नियमित अभ्यास करें। यह पेंक्रियाज को सक्रिय करने में मदद करता है, इंसुलिन प्रोडक्शन और ब्लड शुगर के नियमन में सहायता करता है।
प्राणायाम: कपालभाति एक ऐसी तकनीक है जो इस स्थिति के लिए बहुत उपयोगी है। यह आपके मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है और पैंक्रियाज के कार्य में सुधार करता है।
टिप्स: एक दो बार में भरपेट भोजन से बेहतर है दिन में 4-5 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं। इससे योग के बेहतर रिजल्ट मिलेंगे।
5. ब्लडप्रेशर: शवासन शरीर और मन दोनों के दबाव को कम करता है
आसन: सुखासन और शवासन शरीर और मन दोनों को विश्राम और आराम देते हैं, तनाव और चिंता को कम करते हैं, जो अक्सर हाई ब्लड प्रेशर का कारण बनते हैं।
प्राणायाम: रेचक प्राणायाम हाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद कर सकता है। यह लंबी सांस छोड़ने वाला प्राणायाम है, जो रक्तचाप के स्तर को संतुलित करने में मदद करता है।
टिप्स : नमक कम खाइए इससे योग आसनों के लिए शरीर अधिक लचीला बना रहेगा। ब्लडप्रेशर का खतरा भी कम होगा।
6. किडनी से जुड़े रोग: धनुर्वक्रासन ब्लड के फ्लो को सुधार कर किडनी को मजबूत बनाता है
आसन: धनुर्वक्रासन और अर्धमत्स्येन्द्रासन जैसे योग ब्लड फ्लो में सुधार और सूजन को कम करके किडनी की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। ये योग किडनी की कार्यप्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने में मदद करते हैं।
प्राणायाम: किडनी सहित संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए भ्रामरी उपयोगी है। तर्जनी उंगलियों को दोनों कानों पर रखें। मुंह बंद रखते हुए ओम का उच्चारण करें। इस दौरान नाक से सांस लें और छोड़ें। ऐसा 5-7 बार करें।
टिप्स: किडनी की बीमारी को मैनेज करने और इसकी कार्यप्रणाली को बेहतर रखने के लिए नमक का सेवन कम करना चाहिए। साथ ही हाइड्रेटेड रहने के लिए योग से पहले पर्याप्त पानी पीएं।
7. लिवर से संबंधित रोग: अर्धमत्स्येन्द्रासन योग हानिकारक तत्वों को बाहर करने में सहायक
आसन: अर्धमत्स्येन्द्रासन और भुजंगासन लिवर की कार्यक्षमता में सुधार करते हैं और डिटॉक्सिफिकेशन में सहायता करते हैं। ये आसन फेफड़ोंं तक ऑक्सीजन पहुंचाने में भी मदद करते हैं।
प्राणायाम: कपालभाति ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देकर लिवर के स्वास्थ्य को बढ़ाता है। यह पेट की मांसपेशियों को मजबूत और सक्रिय करता है।
टिप्स: योग के साथ आहार भी बहुत महत्वपूर्ण है। यदि आप हर्निया, मिर्गी, स्लिप डिस्क, कमर दर्द या स्टेंट के मरीज हैं तो यह प्राणायाम न करें। यदि आपकी कुछ समय पूर्व पेट की सर्जरी हुई है तब भी यह प्राणायाम न करें।
8. डिप्रेशन: उष्ट्रासन से फील गुड हार्मोन सक्रिय होता है
आसन: उष्ट्रासन और सेतुबंधासन जैसे योगासन एंडोर्फिन की रिलीज को प्रोत्साहित करते हैं, मूड को सुधारते हैं। ये योग डिप्रेशन के लक्षणों को कम करते हैं। खुशी बढ़ाते हैं।
प्राणायाम: अनुलोम-विलोम जैसे प्राणायाम मन को शांत और संतुलित बनाते हैं। इससे व्यक्ति की पूरी श्वसन प्रणाली और पाचन तंत्र के कार्य करने की क्षमता बढ़ती है।
टिप्स: सामूहिक योगासन सेशन में शामिल होना चाहिए। इससे सामाजिक मेल जोल बढ़ता है। बेहतर नींद और सामाजिक मेलजोल डिप्रेशन से बचाता है। आत्मविश्वास बढ़ाता है।
9. अल्जाइमर: सर्वांगासन मस्तिष्क में ब्लड के सर्कुलेशन को ठीक करता है
आसन: सर्वांगासन जैसे योगासन मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करते हैं और मस्तिष्क की सामंजस्य बैठाने की क्षमता बढ़ाते हैं। इंसोम्निया यानी रात को ठीक से पर्याप्त नींद न आने की समस्या भी दूर हाेती है।
प्राणायाम: भ्रामरी जैसे प्राणायाम चिंता को कम करने और मानसिक स्पष्टता में सुधार करने में सहायता करते हंै। यह दिमाग काे शांत करता है। और सोचने और सही निर्णय के लिए मन को स्थिर करता है।
टिप्स: योग खाली पेट किया जाता है। नाश्ता या खाना खाने के बाद योग न करें। योग करने के 3 घंटे पहले खाना खाया हो तो दिक्कत नहीं है।
10. सिरदर्द: बालासन से तनाव कम होता है
आसन: अधोमुख श्वानासन और बालासन जैसे आसन तनाव को दूर करने और विश्राम को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, सिरदर्द के लक्षणों को कम करते हैं। ये शरीर की स्ट्रेचिंग के सबसे अासान तरीकों में से एक हैं। इससे स्फूर्ति आती है।
प्राणायाम: माइग्रेन जैसे सिर दर्द के मामले में भी प्राणायाम बहुत उपयोगी साबित हुआ है। इससे दिमाग शांत, स्थिर और तेज होता है। िदमाग में सक्रिया बढ़ती है।
टिप्स: किसी भी योगासन और प्राणायाम में श्वास का बड़ा महत्व है। योग करते समय मुंह से सांस न लें। आसन में कब श्वास लेनी है और कब श्वास छोड़नी है, इसका भी ध्यान रखें।
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