कालिंदी, फीनिक्स और सैटेलाइट टाउनशिप में प्लाॅट के नाम पर निवेश कर फंसे पीड़ित 10-15 साल से अपने हक के लिए तो लड़ ही रहे हैं, पिछले एक महीने से हाई कोर्ट के आदेश पर बनी हाई पावर कमेटी भी रास्ता निकालने की कोशिश कर रही है, लेकिन इस कवायद के बाद जो तस्वीर सामने आ रही है वह भी स्पष्ट नहीं है।
तीनों टाउनशिप के ऐसे पीड़ित जिनको प्लाॅट मिलना संभव नहीं है वह 12 फीसदी की दर से ब्याज सहित पैसा वापस लेने के लिए तैयार नहीं है। वहीं हाई पावर कमेटी के 12 फीसदी की दर से भुगतान के प्रस्ताव से भू-माफिया भी सहमत नहीं है। भू-माफियाओं ने भी तय किया है कि इस ब्याज दर से भुगतान करना संभव नहीं। दो गुना से भी अधिक पैसा देना होगा। वहीं पीड़ितों को प्लाॅट भी देने को तैयार नहीं हैं।
प्लॉट की कीमत 30 लाख तक पहुंच गई
10-15 साल पहले कालिंदी, फीनिक्स और सैटेलाइट टाउनशिप खाली मैदान थी, लेकिन अब यह किसी पुरानी बसाहट वाली कॉलोनी से कम नहीं है। एक से डेढ़ दशक पहले यहां लोगों ने 2 से 5 लाख रुपए तक में प्लाॅट लिए थे, जिनकी कीमत अब 30 लाख रुपए तक हो गई है। यही वजह है कि प्लाॅट में निवेश करने वाले पीड़ित अब प्लाॅट की मांग कर रहे हैं।
2022 में कब्जे दिलाए पर मिला कुछ नहीं
जनवरी 2022 में टाउनशिप का सीमांकन किया गया था। पीड़ितों को भौतिक रूप से कब्जे दिलाए गए थे, लेकिन पीड़ितों के पक्ष में रजिस्ट्री नहीं हुई। इस कारण घर बनाने का सपना अभी भी पीड़ितों के लिए दूर की कौड़ी से कम नहीं है ।
इधर, भू-माफिया 12 प्रतिशत की दर से पैसा चुकाने पर सहमत नहीं
महीनेभर की कवायद के बाद हाई पावर कमेटी ने कालिंदी के ही पीड़ितों के लिए 12 प्रतिशत के दर से भुगतान का प्रस्ताव तैयार किया है। हालांकि अभी यह भी तय नहीं है कि 12 प्रतिशत से भुगतान पर मुहर लगेगी या नहीं। कमेटी इस प्रस्ताव को हाई कोर्ट के समक्ष रखेगी।
हाई कोर्ट सुनवाई के बाद आदेश जारी करेगी। इधर, लोग इस दर के साथ पैसा लेना नहीं चाहते, भू-माफिया भी इस दर से अधिक भुगतान करने को राजी नहीं हैं। फीनिक्स की बात की जाए तो इसके डेवलपर ने एक अन्य कंपनी से 1 करोड़ रुपए का लोन लिया है। बाद में फीनिक्स परिसमापन में चली गई थी। वहीं सैटेलाइट में भी भू-माफियाओं के बीच विवाद चल रहे हैं। हाई पावर कमेटी हाई कोर्ट से और समय मांग सकती है।
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