Header Ads Widget

Responsive Advertisement

इंदौर में निकली वेंकटेश की 2 किमी लंबी रथ यात्रा:रजत रथ पर निकले भगवान, 200 जगह किया स्वागत, आज प्रभु को माखन का भोग लगाकर करेंगे शांति अभिषेक

श्रीलक्ष्मी-वेंकटेश देवस्थान छत्रीबाग से भगवान वेंकटेश भक्तों को दर्शन देने फूलों से सुसज्जित रजत रथ पर नगर भ्रमण के लिए निकले। देश की तीसरी सबसे बड़ी रथयात्रा में गोविंदा गोविंदा, वेंकट रमणा गोविंदा... के जयघोष के साथ भक्त अपने भगवान का रथ खींचते चल रहे थे।

प्रभु वेंकटेश रथ पर श्रीदेवी, भूदेवी के साथ विराजित थे। हजारों भक्तों की निगाह अपने आराध्य ठाकुरजी की एक झलक पाने के लिए उत्सुक थी। रथ के पीछे भक्तों का दो किलोमीटर लंबा काफिला था। रात करीब 8 बजे रथ जब गोराकुंड चौराहे पहुंचा, तब यात्रा का आखिरी सिरा नृसिंह बाजार चौराहे के पास था।

रथ यात्रा में जगद्गुरु रामानुजाचार्य नागोरिया पीठाधिपति स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज पैदल चलकर भक्तों को आशीर्वाद दे रहे थे। भक्त भी भगवान के साथ अपने गुरुदेव के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद ले रहे थे। तय मार्ग के अनुसार रथयात्रा छत्रीबाग से प्रारंभ होकर नृसिंह बाज़ार, सीतलामाता बाज़ार, गोराकुंड चौराहा, शक्कर बाज़ार, बड़ा सराफा, पीपली बाज़ार, बर्तन बाजार, बजाजखाना, साठा बाजार से होते हुए पुनः मंदिर पहुंची।

मार्ग में करीब 200 स्थानों पर मंचों से पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। जगह-जगह व्यापारियों द्वारा प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी। श्रद्ध‌ालुओं ने बाजारों में रथ पर विराजे भगवान वेंकटेश का पूजन-अर्चन किया। पूरे मार्ग पर स्वागत द्वार, ध्वज-पताकाएं और विद्युत सज्जा की गई थी।

सबसे आगे बैंड था, जो कि सुसज्जित गाड़ी और भजनों से भक्तों का ध्यान खींच रहा था। 21 घोड़ों पर पताका लिए कमांडो भी विशेष पोशाक में सवार थे। इसके पीछे ठाकुरजी के चांदी के वाहन के रूप में गरुड़ वाहन, हनुमान वाहन, अश्व वाहन, गज वाहन, मंगलगिरी थे, जिन पर ठाकुरजी का चित्र था।

रथ यात्रा में शामिल स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज।
रथ यात्रा में शामिल स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज।

रवाना होने से पहले रथ का पूजन

मंदिर से रवाना होने से पहले स्वामी विष्णुप्रपन्नाचार्य महाराज के साथ सत्यनारायण शर्मा, नारायण पवन व्यास, रमेश विजय चितलांगया परिवार के साथ ही वेंकटेश मंदिर ट्रस्ट कमेटी के रवींद्र धूत एवं ब्रह्मोत्सव रथयात्रा महोत्सव समिति के कैलाश मूंगड़, महेंद्र नीमा, बालकिशन सिंगी, केदारमल जाखेटिया, पंकज तोतला, भरत तोतला, अशोक डागा, पुष्प माहेश्वरी, रंगेश बियानी ने रथ का पूजन किया। इसके बाद वेंकट रमणा गोविंदा के उद्घोष के साथ रथयात्रा शुरू हुई।

महाराष्ट्र से आए दल ने ढोल की थाप पर जीता दिल।
महाराष्ट्र से आए दल ने ढोल की थाप पर जीता दिल।

मंचों और छज्जों से फूलों की बारिश

रथयात्रा जिस मार्ग से निकली वहां वेंकट रमणा गोविंदा के उद्घोष के साथ मंचों और छज्जों से फूलों की बारिश की गई। यात्रा के आगे बढ़ने पर नागरिक यात्रा में जुड़ने लगे और कारवां बढ़ता गया। यात्रा की व्यवस्थाओं की कमान राम सोमानी, आशीष बाहेती, आशीष लड्डा, ऋषि शर्मा, अपेक्षित पंचारिया, परीक्षित जाजू, अर्पित माहेश्वरी, निधीश नागोरी, मुदित पलोड़, आनंद बजाज, सपन माहेश्वरी और मनीष बिसानी ने संभाल रखी थी।

रथ यात्रा में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्ध‌ालु।
रथ यात्रा में बड़ी संख्या में पहुंचे श्रद्ध‌ालु।

झांकियों के जरिए दिए संदेश

रथ यात्रा में देश की प्रगति, गो माता की रक्षा, चूल्हे की पहली रोटी गाय तक पहुंचाने की अपील की गई। इसके साथ ही गीता का सार और शबरी द्वारा प्रभु श्रीराम को खिलाए मीठे फल की झांकी को श्रद्धालुओं ने सराहा।

रामानुज सम्प्रदाय की दिखी झलक

रथयात्रा में रामानुज स्वामीजी को भी की झांकी थी। इसमें हैदराबाद के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी का सुंदर दृश्य प्रदर्शित किया जा रहा था। रथ में विराजमान कमल पर रामानुज स्वामी का दृश्य उभरकर आ रहा था। साथ ही देशभर से पधारे 21 संत बग्घियों में विराजमान थे।

गूंजती रही भजनों की स्वरलहरियां

देवास के द्वारका दास मंत्री की मंडली भजनों की रस गंगा प्रवाहित कर रहे थी, वहीं हरिकिशन साबू भोपूजी के भजनों पर भी भक्त झूम रहे थे। रथ के आगे नासिक-मुंबई से आए 80 युगल कलाकार की बड़े-बड़े ढोल की प्रस्तुतियां भी देखने लायक थी। खास तौर पर राधे राधे रटो चले आएंगे बिहारी...और भक्तों के दुख हरने की खातिर भगवान का धरती पर आना पड़ा...जैसे भजनों ने भक्तों का दिल जीत लिया।

आज प्रभु को माखन का भोग लगाकर करेंगे शांति अभिषेक

देवस्थान के प्रवक्ता पंकज तोतला ने बताया आज सुबह के सत्र में गो अन्नकूट महोत्सव किया गया जो कि अनंत निधि सेवा प्रकल्प द्वारा किया गया। इसमें मुंबई की अंजली जाजू ने भजनों की प्रस्तुति दी। इस दौरान संत सभा भी की गई। सुबह 9 बजे से रजत कलशों से प्रभु को माखन का भोग लगाकर शांति अभिषेक किया जाएगा। इसके साथ महोत्सव का समापन होगा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ