आज (27 जून) भड़ली नवमी है और गुरुवार, 29 जून को देवशयनी एकादशी है। इस एकादशी से देवउठनी एकादशी (23 नवंबर) तक भगवान विष्णु विश्राम करेंगे। देव शयन की वजह से इसे देवशयनी एकादशी कहा जाता है। पूजा-पाठ और व्रत-उपवास के नजरिए से इस दिन का महत्व काफी अधिक है।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, जो लोग इस तिथि पर धर्म-कर्म करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य मिलता है। ऐसा पुण्य, जिसका असर पूरे जीवन बना रहता है। जानिए इस दिन कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
- एकादशी पर भगवान विष्णु और उनके अवतारों की विशेष पूजा, अभिषेक करने की परंपरा है। विष्णु जी के साथ देवी लक्ष्मी का अभिषेक करना चाहिए। श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप का दूध से अभिषेक करें।
- विष्णु जी के मंत्र ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय और श्रीकृष्ण के मंत्र कृं कृष्णाय नम: का जप करना चाहिए। पूजा में तुलसी के साथ भगवान को भोग लगाएं। विष्णु जी को मिठाई और श्रीकृष्ण को माखन-मिश्री चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का श्रृंगार पीले चमकीले वस्त्र और पीले हार-फूल से करेंगे तो बेहतर रहेगा। देवी लक्ष्मी को लाल चुनरी चढ़ाएं।
- श्रीकृष्ण की पूजा में गोमाता की मूर्ति, बांसुरी, मोर पंख भी मूर्ति जरूर रखें। कान्हा जी के साथ गोमाता का भी अभिषेक करें।
- देवशयनी एकादशी की शाम तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी का स्पर्श नहीं करना चाहिए। थोड़ी दूर से ही तुलसी पूजन करें।
- इस एकादशी के बाद से शिव जी सृष्टि का पालन करते हैं। इसलिए एकादशी पर शिव जी की भी विशेष पूजा करनी चाहिए। जल, दूध और फिर जल से शिवलिंग का अभिषेक करें। ऊँ नम: शिवाय बोलते हुए जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, शमी के पत्तों से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक लगाएं और अन्य पूजन सामग्री चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। मिठाई का भोग लगाएं।
- गुरुवार और एकादशी के योग में देवगुरु बृहस्पति की भी पूजा करनी चाहिए। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिवलिंग पर पीले फूल चढ़ाएं। चने की दाल और बेसन के लड्डू का भोग लगाएं।
- जरूरतमंद लोगों को चने की दाल, लड्डू, खाना, अनाज, जूते-चप्पल, छाता, धन का दान करें। किसी गोशाला में गायों की देखभाल के धन का दान करें।
- देवशयनी एकादशी पर किसी नदी में स्नान कर सकते हैं। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं।
- एकादशी पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। स्नान के बाद तांबे के लोटे से सूर्य को जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
0 टिप्पणियाँ