आबोहवा सुधारने के लिए इंदौर में चार साल में 192 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए गए हैं, फिर भी कोई खास बदलाव नजर नहीं आ रहा है। नगर निगम, जिला प्रशासन और मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तमाम दावों के बावजूद जिस एक्यूआई (एयर क्वालिटी इंडेक्स) को 80 से घटाकर 2025 तक 50 के नीचे ले जाना है, वह अभी भी 100 से अधिक है। पिछले साल ढाबों, होटलों और मैरिज गार्डन पर तंदूर बंद कराने पहुंचे जिम्मेदार सड़कों के गड्ढे तक नहीं भर पा रहे हैं। प्रमुख सड़कों में से अधिकांश को अलग-अलग कारणों से खोद रखा है।
157 प्रमुख चौराहों में से 58 पर सिग्नल हैं, लेकिन सिर्फ 28 पर ही टाइमर लगे हैं। भंवरकुआं, खजराना और फूटी कोठी चौराहा पर फ्लाय ओवर सहित 100 से अधिक सरकारी और निजी प्रोजेक्ट चल रहे हैं, लेकिन उन्हें शेड या ग्रीन नेट से कवर नहीं किया गया है। इनसे उड़ने वाली धूल और मिट्टी से भी आबोहवा दूषित हो रही है।
कई इलाकों में सड़कें खोद ली गईं
पर्यावरणविद् डॉ. दिलीप वाघेला का कहना है, पिछले कुछ महीनों से कई इलाकों में पानी, ड्रेनेज, सीवरेज, स्टाॅर्म वॉटर लाइन सहित टेलीकॉम से जुड़े कामों के लिए मुख्य सड़कें खोदी गई हैं। इससे जाम लग रहा है और गाड़ियों के धुएं से प्रदूषण बढ़ रहा है।
3 हजार साइकिलों में से आधी खराब
निगम ने पब्लिक बाइक शेयरिंग स्कीम के तहत अलग-अलग स्थानों पर 3 हजार से अधिक साइकिलें रखीं। 10 करोड़ के प्रोजेक्ट में हाइटेक साइकिल स्टेशन भी बनाए, लेकिन एक साल में ही 50 फीसदी साइकिलें कबाड़ हो गई या गायब हैं।
आबोहवा बिगड़ने की ये वजह भी
- जिले की आबादी करीब 40 लाख है और 22 लाख से ज्यादा वाहन रजिस्टर्ड हैं। 4.5 लाख से अधिक 15 साल पुराने हैं, इनका धुआं प्रदूषण बढ़ा रहा है।
- शहर के सरकारी और निजी प्रोजेक्ट से उड़ने वाली धूल-मिट्टी रोकने शेड या ग्रीन नेट कवर का इस्तेमाल नहीं है। खस्ताहाल सड़कों से उड़ने वाली धूल भी पेरशानी।
- डस्ट पार्टिकल खत्म करने के लिए निगम की स्वीपिंग मशीन कुछ महीनों से सड़कों पर कम ही दिखाई दे रही।
- नगर निगम में 800 से अधिक डीजल वाहन डोर टू डोर कचरा कलेक्शन करते हैं, अधिकांश पुराने और कंडम होने से अधिक धुआं फैलाते हैं।
केंद्र का रिपोर्ट कार्ड- हमसे बेहतर देवास
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में मप्र के 7 शहरों (इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, देवास, उज्जैन और सागर) को शामिल किया गया है। 4 साल में इंदौर में पीएम-10 का लेवल 82 से बढ़कर 103 पर पहुंच गया, जबकि देवास में पीएम-10 का स्तर 83 से 81 पर आया। उज्जैन में 93 से 114 और भोपाल में 112 से 116 पर आ गया।
प्रदूषण फैला रहे उद्योगों पर कार्रवाई नहीं
प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर भी कार्रवाई थम सी गई है। वहीं सख्ती हटते ही बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, खजराना, चंदन नगर, भंवरकुआं, बंबई बाजार, मालवा मिल, देवास नाका, बाणगंगा, पालदा, तीन इमली और राऊ के छोटे होटल, बायपास के ढाबों और मैरिज गार्डन में तंदूर जलाए जा रहे हैं।
"नए सिरे से अभियान शुरू करेंगे। तंदूर जलाने वाले होटल, ढाबे, रेस्टोरेंट को सील किया जाएगा। 6 महीने में अधिकांश सिग्नल पर टाइमर लगा दिए जाएंगे।"
-अश्विन शुक्ला, स्वच्छता समिति प्रभारी
"प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं। पांच स्थानों पर नियमित रूप से प्रदूषण मापा जाता है।"
-एसएन द्विवेदी, क्षेत्रीय अधिकारी, मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
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