ग्वालियर स्मार्ट सिटी डवलपमेंट कॉर्पोरेशन का एक और प्रोजेक्ट बंद हो गया है। पब्लिक बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट के नाम पर शहरवासियों की गाढ़ी कमाई में से 5 करोड़ रुपए का इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा करने के बाद स्मार्ट सिटी ने उसकी कमान याना कंपनी को पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप के तहत दी। कंपनी ने विज्ञापन, साइकल चलाने वालों से होने वाली आय से 3.45 करोड़ रुपए कमाए और फिर प्रोजेक्ट में अरुचि दिखा दी। अब स्मार्ट सिटी ने प्रोजेक्ट को बंद कर कंपनी को पत्र पहुंचा दिया है।
हां, याना कंपनी को टर्मिनेट कर दिया है
स्मार्ट सिटी सीईओ नीतू माथुर के अनुसार याना कंपनी को मेंटेनेंस आदि के काम करना था। उसने वह कार्य नहीं किए। इसके साथ ही विज्ञापन ज्यादा स्थान पर करने के एवज में 1.61 करोड़ रुपए की राशि देना थी। कंपनी को किश्तों में राशि जमा करने की बात कही गई। इस पर भी कंपनी ने काम नहीं किया। इसके चलते कंपनी को टर्मिनेट कर दिया गया।
याना कंपनी ने मुनाफा कमाया और फिर प्रोजेक्ट में अरुचि दिखाई
अब सूत्र सेवा पर भी संकट
सूत्र सेवा पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। फिलहाल नीरज बस ट्रेवल्स को एक मौका और दिया गया है। यदि शहर में 13 स्मार्ट सिटी बसें दो रूट पर 19 जून से लगातार नहीं दौड़ती हैं, तो उनके खिलाफ भी सख्त एक्शन की कार्रवाई होगी। हालांकि प्रक्रिया की शुरूआत हो चुकी है।
ये प्रोजेक्ट भी फ्लॉप साबित
1 स्मार्ट वाहन पार्किंग स्टैंड- शहरवासियों को वाहन स्टैंड पर ओवर चार्जिंग से सेफ करने के लिए 24 पार्किंग स्थल स्मार्ट बनाने के लिए एक निजी कंपनी को ठेका दिया था। लेकिन कंपनी अपनी सुविधा अनुसार 9 को ही संचालित करती रही। इस दौरान कुछ गड़बड़ियां भी सामने आईं। आखिर में तत्कालीन सीईओ ने कंपनी को बाहर का रास्ता दिखाकर अनुबंध खत्म कर दिया। अब वाहन पार्किंग का काम नगर निगम कर रहा है।
2 वीएमएस बोर्ड- ट्रैफिक सुविधा, मौसम का हाल सहित अन्य अपडेट जानकारी देने के लिए तीन करोड़ का प्रोजेक्ट बंद हो गया है। इसके लिए शहर में 10 जगह एलईडी स्क्रीन वीएमएस बोर्ड में लगाई गई थीं। अब स्क्रीन कई जगह बंद पड़ी हुई है। जहां चालू भी है, वहां पुरानी जानकारी मिल रही है।
ऐसे समझें पूरा मामला
यह पूरा प्रोजेक्ट 5 करोड़ रुपए का था। 2.50 करोड़ रुपए की राशि में 500 साइकल खरीदना और 50 स्टेशन बनाना था। शेष 2.50 करोड़ रुपए की राशि मेंटेनेंस के लिए थी। कंपनी ने 50 स्टेशन के स्थान पर 41 ही बनाए। उस पर भी 36 वर्गफीट एरिया में ही विज्ञापन करना था। कंपनी ने नियमों को नजर अंदाज कर कम से कम 150 वर्ग फीट एरिया में विज्ञापन किया। स्मार्ट सिटी के जानकारों का कहना है कि विज्ञापन से करीब 3.45 करोड़ रुपए की राशि अर्जित की। ज्यादा विज्ञापन करने पर 1.61 करोड़ रुपए की राशि कंपनी के बिल में काटने के आदेश दिए गए थे।
अभी स्मार्ट सिटी ने 70 लाख रुपए की राशि कटौत्रा कर निगम के खाते में पहुंचा दी है। कंपनी ने इसके अलावा साइकिल चलाने वालों से 10 लाख रुपए के करीब कमाए हैं। ज्ञात रहे नगरीय क्षेत्र के लोग साल में 98 करोड़ रुपए टैक्स के रूप में अदा कर रहे हैं। यह टैक्स नगर विकास, शिक्षा उपकर और समेकित कर के नाम पर वसूला जाता है। टैक्स के बदले शहरवासियों को सुविधाएं देने के सपने दिखाने में अफसर पीछे नहीं है। नित्य नई योजना और ठीक से क्रियान्वयन नहीं होने से फ्लॉप हो जाती है।
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