भू-माफियाओं से पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए हाई कोर्ट के आदेश पर बनी हाई पावर कमेटी ने बीच का रास्ता निकाला है। ऐसे पीड़ित, जिनसे इन भू-माफियाओं ने प्लॉट के नाम पर पैसा लिया मगर प्लाॅट नहीं दिया, उन्हें 6.6 फीसदी की दर से ब्याज सहित पैसा लौटाया जाएगा। कमेटी ने तीन दिन फिर सुनवाई करना भी तय किया है।
सुनवाई दौरान चिराग शाह, हैप्पी धवन, निकुल कपासी, महावीर जैन मौजूद थे, लेकिन भगोड़ा नीलेश अजमेरा व अन्य कोई नहीं आया। उनकी ओर से वकील मौजूद थे। पीड़ितों के सामने ही भू-माफियाओं से सेटलमेंट का प्लान पूछा जा रहा है। अब तक कमेटी के माध्यम से 66 मामलों का निराकरण हो चुका है। जबकि 11 पीड़ितों को भुगतान के डीडी पेश किए जा चुके हैं।
ज्यादातर पीड़ित सहमत नहीं
उधर, कमेटी ने रास्ता तो निकाला है। लेकिन यह उन पीड़ितों के लिए झटका है, जिन्होंने माफियाओं से डायरी पर सौदा किया। डायरी वालों को भी भुगतान होगा तो इसमें यह तय करना मुश्किल होगा कि डायरी असली है या नकली। यह भी बात सामने आ रही है कि कमेटी के प्रस्ताव से कई पीड़ित खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि हमने प्लाॅट के लिए पैसा दिया था। हमें प्लाॅट ही चाहिए। इतने समय में जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई है। ऐसे में सिर्फ ब्याज देना ठीक नहीं। ऐसे मामलों पर हाई कोर्ट निर्णय करेगी।
पीड़ितों को प्लॉट मिलना चाहिए 6.6% ब्याज अव्यावहारिक है
"निवेशकों ने 10-15 साल पहले संपत्ति में निवेश किया था। उसकी कीमत आज कई गुना हो चुकी है। उन्हें ब्याज के साथ पेनल्टी का पैसा भी मिलना चाहिए। उपभोक्ता फोरम ही 9% तक ब्याज देता है। 6.6% ब्याज मिलना अव्यावहारिक है। पहली प्राथमिकता तो सभी पीड़ित को प्लॉट दिलवाने की ही होना चाहिए। यदि कोई गुंजाइश न हो तब भी ब्याज संपत्ति की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए दिलाया जाना चाहिए।"
- राजेश खंडेलवाल, अधिवक्ता
कम से कम उस समय की प्रचलित दर से चक्रवृद्धि ब्याज देना चाहिए
"अव्वल तो निवेशकों को प्लॉट ही मिलना चाहिए। यदि पैसा लौटाना भी है तो उस वक्त की प्रचलित दर से चक्रवृद्धि ब्याज सहित पैसा लौटाएं। वरना भूमाफिया के लिए यह बहुत आसान होगा कि वे मामूली दर से ब्याज देकर अपने अपराध से मुक्त हो जाएंगे। पीड़ितों को न्याय मिलना ही चाहिए।"
- संजय मेहरा, अधिवक्ता
0 टिप्पणियाँ