उज्जैन के महाकाल लोक में आंधी चलने से गिरी मूर्तियों के मुद्दे को कांग्रेस हाथ से जाने नहीं देना चाहती है। अब इस मामले में राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा है कि महाकाल लोक बनाने में मध्यप्रदेश सरकार ने 80 प्रतिशत कमीशन खाया है। वहीं, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने लोकायुक्त एनके गुप्ता को मामले की जांच से दूर रहने को कहा है। उन्होंने कहा कि लोकायुक्त सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने सोमवार को राजगढ़ जिले के सारंगपुर में कहा, 'महाकाल लोक के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 300 करोड़ रुपए की मंजूरी दी थी। वहां पत्थर की मूर्तियां लगना थीं। शिवराज सरकार ने गुजरात के ठेकेदार को ठेका दे दिया। सप्तऋषियों की जो मूर्तियां पत्थर की लगनी थीं, वो फाइबर की लगा दी गईं। ये 300 में से 240 करोड़ खा गए।
कांग्रेस कार्यालय के लोकार्पण कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे दिग्विजय ने कहा, 'एक-एक मूर्ति पर 40 से 50 लाख तक का खर्च हुआ था। ये प्रतिमाएं हवा का झोंका भी सहन नहीं कर पाईं। ऐसी सरकार को अब हटाना है। यही हम लोगों का लक्ष्य है।'
नेता प्रतिपक्ष बोले- महाकाल लोक से दूर रहें लोकायुक्त
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह ने भोपाल में पत्रकार वार्ता में कहा, 'लोकायुक्त की कुर्सी पर बैठकर एनके गुप्ता अन्याय कर रहे हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान संवैधानिक संस्थाओं को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दे रहे हैं। 1 साल पहले ही हमारे विधायक महेश परमार ने महाकाल लोक में हो रहे घोटाले की शिकायत की थी। गुप्ता इतने लंबे अरसे तक इस भ्रष्टाचार को दबाए क्यों बैठे रहे। जो लोकायुक्त न्याय नहीं करें, भ्रष्टाचार को दबाने का काम करें, अब वही महाकाल लोक में भ्रष्टाचार की जांच कर रहे हैं। वे क्या जांच करेंगे, क्या उम्मीद रखें ऐसे व्यक्ति से? जब भ्रष्टाचार हो गया, मूर्तियां गिर गईं, सनातन धर्म के करोड़ों लोगों की श्रद्धा को ठेस पहुंची, तब जाकर जांच करेंगे। इससे ज्यादा शर्मनाक स्थिति मध्यप्रदेश के लोकायुक्त के लिए क्या हो सकती है।'
MP में लोकायुक्त कार्यालय बंद कर देना चाहिए
डॉ. गोविंद सिंह ने कहा- ईमानदार डीजे मकवाना बतौर लोकायुक्त डीजी कार्रवाई करना चाहते थे, लेकिन उनको दबाव डालकर हटवा दिया। मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहता हूं कि मध्यप्रदेश का लोकायुक्त कार्यालय बंद कर दिया जाए। इस पर जनता की गाढ़ी कमाई से जो खर्च हो रहा है, उसे बचाया जाए। महाकाल लोक घोटाले की जांच केवल उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के आयोग द्वारा कराई जाए, तभी दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। लोकायुक्त से मध्यप्रदेश की जनता का विश्वास उठ चुका है। उनसे हम कोई उम्मीद नहीं कर सकते।
भूरिया ने कहा- भगवान महाकाल भी बीजेपी से नाराज
युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने दमोह में कहा, 'बीजेपी ने महाकाल लोक भी नहीं छोड़ा। जरा सी आंधी में मूर्तियां गिर गईं, दीवारों में दरारें आ गईं। यह सबूत है कि भगवान महाकाल भी बीजेपी से नाराज हैं। कर्नाटक चुनाव हुआ तो बीजेपी ने बजरंग बली के नाम का उपयोग कर भ्रष्टाचार छिपाने की कोशिश की। जो 40% कमीशन की सरकार थी, उसे छिपाने की कोशिश की। लेकिन जब रिजल्ट आया तो साफ दिखा कि बजरंग बली और जनता का आशीर्वाद किसके साथ है। वैसा ही मध्यप्रदेश में हो रहा है। महाकाल लोक में इन्होंने 50 से 60% कमीशन लिया है। इस सरकार के भ्रष्टाचार को उजागर करने मैं खुद बाबा महाकाल के आदेश पर आया हूं।
हवा में उड़ गई थीं महाकाल लोक की 6 मूर्तियां
उज्जैन में 28 मई को आंधी-बारिश के कारण महाकाल लोक की मूर्तियों को नुकसान पहुंचा था। सप्तऋषि की 7 में से 6 मूर्तियां पेडस्टल से नीचे गिर गई थीं। पूरे महाकाल लोक में ऐसी करीब 136 मूर्तियां लगाई गई हैं। इनकी लागत 15 करोड़ रुपए है। इस हिसाब से औसतन एक मूर्ति बनाने में 11 लाख रुपए खर्च हुए है। महाकाल लोक बनने की शुरुआत 2018 में हुई थी। फ्लोर का काम शुरू होने के बाद सबसे पहले सप्तऋषियों की मूर्तियां स्थापित की गई थीं।
उज्जैन के महाकाल लोक में मूर्तियां गिरने के मामले की जांच तेज हो गई है। शनिवार को लोकायुक्त की टीम महाकाल लोक पहुंची। टीम के सदस्यों ने पेडस्टल पर चढ़कर करीब आधा दर्जन मूर्तियों का निरीक्षण किया। काफी देर तक एक-एक मूर्ति को बारीकी से देखा। टीम ने उज्जैन स्मार्ट सिटी लिमिटेड से मूर्तियों के संबंध में जानकारी मांगी है। अफसरों ने कहा कि जांच रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही कुछ बता पाएंगे।
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