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भूमाफियाओं की कथनी और करनी के भंवर में फंसे पीड़ित:90 दिन में सेटलमेंट की शर्त पर जमानत, डेढ़ साल बाद भी न्याय नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में भूमाफिया चंपू, नीलेश, हैप्पी, महावीर जैन सहित अन्य को इस शर्त पर जमानत दी थी कि 90 दिन में वह सभी पीड़ितों के साथ न्याय कर देंगे। - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में भूमाफिया चंपू, नीलेश, हैप्पी, महावीर जैन सहित अन्य को इस शर्त पर जमानत दी थी कि 90 दिन में वह सभी पीड़ितों के साथ न्याय कर देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में भूमाफिया चंपू, नीलेश, हैप्पी, महावीर जैन सहित अन्य को इस शर्त पर जमानत दी थी कि 90 दिन में वह सभी पीड़ितों के साथ न्याय कर देंगे। 31 मार्च 2022 को जिला प्रशासन ने रिपोर्ट भी शीर्ष अदालत में पेश कर दी थी। भूमाफियाओं को जेल से बाहर आए डेढ़ साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन एक भी पीड़ित के साथ न्याय नहीं हो पाया है। प्रशासन और पुलिस ने भी थक-हारकर हाई कोर्ट में रिपोर्ट दे दी है कि इनकी जमानत निरस्त कर दी जाए।

हाई कोर्ट के आदेश पर गठित हाई पॉवर कमेटी भूमाफियाओं से पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए पिछले तीन दिन से वन-टू-वन कर रही है, लेकिन अभी तक की स्थिति में कालिंदी टाउनशिप को छोड़ दिया जाए तो फीनिक्स और सैटेलाइट टाउनशिप के पीड़ितों को राहत मिलने के आसार नहीं हैं। मालूम हो हाई पॉवर कमेटी करीब एक महीने से सुनवाई कर रही है। कमेटी ने पहले सभी पीड़ितों को सुना। फिर भूमाफियाओं को सुना। उसके बाद भूमाफियाओं और पीड़ितों को आमने-सामने बैठाकर सुना। इसके बावजूद भूमाफिया ठीक से सेटलमेंट प्लान नहीं बता सके।

चंपू और लिक्विडेटर के विवाद में फंसे
जब तक फीनिक्स कंपनी और लिक्विडेटर के बीच 1 करोड़ के लेनदेन का हिसाब नहीं सुलझ जाता, तब तक पीड़ितों को न्याय की संभावना नहीं है। चंपू की फीनिक्स कंपनी ने पेरेंटल ड्रग्स कंपनी से एक करोड़ का लोन लिया और फिर इसे चुकाया नहीं, जिसके बाद कंपनी लिक्विडेशन में चली गई। इसके बाद से सभी पीड़ित उलझ गए हैं। जिला प्रशासन की सुनवाई के समय भले ही 88 शिकायतें आई हैं, लेकिन हाई कोर्ट की कमेटी के सामने 266 शिकायतें अकेले फीनिक्स की आ चुकी हैं। चंपू ने मात्र एक करोड़ के लोन के खेल से पीड़ितों के 50 करोड़ से ज्यादा की कीमत के प्लॉट उलझा दिए हैं।

जिन्हें कब्जे मिले, उनकी रजिस्ट्री अटकी
प्रशासन द्वारा दी गई रिपोर्ट के अनुसार 88 शिकायतें आई थीं। इनमें 56 रजिस्ट्री वाले और 32 रसीद पर भुगतान करने वाले थे। रजिस्ट्री वालों में से 26 को मौके पर कब्जे दिए गए हैं, लेकिन कोई मतलब नहीं, क्योंकि संशोधित रजिस्ट्री नहीं हुई है, क्योंकि कंपनी लिक्वीडेशन में है। रसीद वाले 32 पीड़ितों में 20 को भुगतान किया है। इसमें भी कई आधे-अधूरे हैं। बाकी 42 केस का कोई निराकरण नहीं हुआ है। इसके अतिरिक्त भी प्रशासन के पास 28 शिकायतें आई थीं, वहीं अभी कमेटी के पास 266 मामले पहुंच चुके हैं। इसके मुकाबले निराकरण मात्र 46 का ही हुआ है।

6.6 फीसदी ब्याज दर के प्रस्ताव से ज्यादातर सदस्य नाखुश
कालिंदी के पीड़ितों को 6.6 फीसदी की ब्याज दर से भुगतान किए जाने के कमेटी के प्रस्ताव से सदस्य नाखुश हैं। सदस्यों ने प्लाॅट ही दिए जाने या फिर उस वक्त की प्रचलित ब्याज दर से भुगतान किए जाने की बात कही है। कमेटी 6.6 फीसदी की ब्याज दर को बढ़ाकर 10 फीसदी तक कर सकती है। इसका मतलब यह हुआ जितने में प्लाॅट खरीदा गया था, उसकी दो गुना राशि का भुगतान सदस्यों को हो जाएगा। कमेटी द्वारा अपनी रिपोर्ट बनाकर हाई कोर्ट के समक्ष पेश की जाएगी। हाई कोर्ट द्वारा कमेटी सिफारिशों पर विचार किया जाएगा। 21 जून को मामले की सुनवाई होना है।

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