भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इंदौर में बुधवार को दावा किया कि इस बार भारतीय जनता पार्टी 200 सीट पार करेगी। शर्मा के इस बयान के बाद बिना देरी किए पूर्व मंत्री सज्जन वर्मा ने पलटवार किया।
वर्मा ने कहा कि इस बार भाजपा को 60 सीट के भी आसार नहीं है। वर्मा ने ये जोड़ा कि ये मैं नहीं कह रहा हूं। ये बीजेपी-संघ का इंटरनल सर्वे कह रहा है। जनता चाहती है मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आए। भाजपा ने पिछली बार भी ये ही सपना देखा था जो चूर-चूर हो गया। उस समय भी ये ही नारा था और अब फिर वो ही नारा दोबारा लेकर आ गए हैं अबकी बार 200 पार। खुद का सर्वे आ रहा है, उसमें 60-65 सीट मुश्किल से जीत रही है। आरएसएस और बीजेपी का ये इंटरनल सर्वे है।
मध्यप्रदेश की सत्ता का रास्ता मालवा-निमाड़ की 66 सीट से होकर गुजरता है, जिसमें इंदौर संभाग की 37 और उज्जैन संभाग की 29 सीटें शामिल हैं। इस बार कांग्रेस मालवा-निमाड़ में कितनी सीट जीतेगी इस सवाल के जवाब में वर्मा ने कहा कि मालवा-निमाड़ में हम भाजपा से 5 सीट ज्यादा जीतेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि सर्वे के आधार पर ही राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में 150 सीट जीतने की बात कही हैं। तीन टीमों ने अलग-अलग सर्वे किया है।
बुधवार को मीडिया से चर्चा में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने कहा है कि सपने देखकर राहुल गांधी मध्यप्रदेश में 150 सीट घोषित कर रहे हो तो उन्हें मुबारक है। मध्यप्रदेश भाजपा संगठन का गढ़ है। हमने नारा दिया है अब की बार 200 पार।
भाजपा नेताओं की नाराजगी पर वीडी शर्मा का कहना है कि बीजेपी दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक दल है। हम मनुष्य हैं। थोड़ी बहुत बातें उठ सकती हैं। मैं ये नहीं कहता हम बिल्कुल आइडियल हैं। कहीं अगर ऐसी समस्या है तो पूरा नेतृत्व है, मिलकर उसका समाधान निकाल लेंगे। चिंता करने वाली कोई बात नहीं है।
20 साल में भाजपा को सबसे बड़ा नुकसान मालवा-निमाड़ में हुआ था
2018 के चुनाव में मालवा-निमाड़ की सीटों के आंकड़ों की बात करें तो दोनों संभाग (इंदौर-उज्जैन) में 20 साल में इतना बड़ा नुकसान भाजपा को कभी नहीं हुआ। इंदौर-उज्जैन संभाग की 66 सीटों में से भाजपा को 2018 के चुनाव में मात्र 28 सीटें ही मिली, जबकि 2013 के चुनाव में 57 सीटें जीती थीं।
भाजपा को यहां सीधे 29 सीटों का नुकसान हुआ। इंदौर संभाग में पांच साल में ही भाजपा की 18 सीट तो उज्जैन संभाग में 11 सीटें कम हो गई। 2013 में इंदौर संभाग में 37 में से 29 सीटें भाजपा को मिलीं। कांग्रेस के पास 8 सीट थी। उज्जैन संभाग में 29 में से 28 सीट बीजेपी के पास थी, सुवासरा को छोड़कर। एक सीट कांग्रेस के पास थी।
2018 में कांग्रेस ने मालवा-निमाड़ में 35 सीट जीती थी। दो बागी जो कांग्रेस के थे, उनके समर्थन के बाद सीटों का आंकड़ा 37 हो गया। 2018 में इंदौर संभाग की 37 सीट में से भाजपा को 11 मिली, कांग्रेस ने 26 सीट (एक निर्दलीय) जीती थी।
वहीं 2020 में कांग्रेस विधायकों के भाजपा में आने के बाद हुए सत्ता परिवर्तन से मालवा-निमाड़ की सीटों का आंकड़ा भी बदल गया है। बदलाव भाजपा के लिए फायदे वाला रहा। 66 सीटों में से अब भाजपा के पास 33 और कांग्रेस के पास 30 सीटें हैं। 3 निर्दलीय विधायक हैं।
प्रदेश की कुल 47 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 22 मालवा-निमाड़ में
भाजपा और कांग्रेस दोनों ही राजनीतिक दल आदिवासी वोटरों को अपनी तरफ करने के लिए इस बार भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। मालवा-निमाड़ में उनका ज्यादा फोकस है, क्योंकि मध्यप्रदेश की कुल 47 आदिवासी आरक्षित सीटों में से 22 सीट मालवा-निमाड़ में हैं।
पिछली बार इन सीटों में से 14 कांग्रेस और 7 सीट भाजपा ने जीतीं थी। खरगोन जिले की भगवानपुरा सीट से निर्दलीय केदार चिड़ाभाई डावर विधायक चुने गए थे, हालांकि उनका झुकाव कांग्रेस की तरफ ही रहा है। मनावर सीट से जय आदिवासी युवा शक्ति संगठन (जयस) के संरक्षक डॉ.हीरालाल अलावा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे।
उन्होंने पूर्व मंत्री रंजना बघेल को चुनाव हराया था। आदिवासी सीटों पर लगातार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का मूवमेंट बना हुआ है। दोनों आदिवासी वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए कई दौरे अभी तक क्षेत्र में कर चुके हैं।
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