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फिर छूटा हक:अयोध्यापुरी में फिर महाभारत! सालभर पहले प्लॉट के कब्जे मिले थे, अब दोबारा बनी वरीयता सूची, कई नाम छूट गए

शहर में एक हाउसिंग सोसायटी का 25 साल पुराना विवाद एक बार फिर नया रूप लेता जा रहा है। - Dainik Bhaskar

शहर में एक हाउसिंग सोसायटी का 25 साल पुराना विवाद एक बार फिर नया रूप लेता जा रहा है।

शहर में एक हाउसिंग सोसायटी का 25 साल पुराना विवाद एक बार फिर नया रूप लेता जा रहा है। सोसायटी है देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था। इस संस्था की 27 स्थानों पर जमीन है, उसमें दो प्रमुख है- अयोध्यापुरी और श्रीमहालक्ष्मी नगर। 504 सदस्यों वाली अयोध्यापुरी में फिर से बवाल की आशंका है, क्योंकि सहकारिता विभाग ने जिला प्रशासन के साथ जो नई वरीयता सूची बनाई है, उसमें कई सदस्यों को गलत बताया गया है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक ही परिवार के सदस्यों ने कई प्लॉट लिए हैं। कई सदस्य ऐसे हैं, जिनके अन्य स्थानों पर भी प्लॉट हैं। 8 जून तक इस सूची को लेकर आपत्तियां बुलाई गई हैं। उधर, सदस्य इस पूरी कवायद से नाराज हैं। उनका कहना है कि जिन दस्तावेजों को आधार बनाया गया है, वे तो खुद भूमाफियाओं ने बनाए थे।

आज कलेक्टर से मिलेंगे 100 से ज्यादा मेंबर- पूरी कवायद से संस्था के पुराने सदस्य नाराज हैं। उनका कहना है कि खुद प्रशासन ने कब्जे दिलवाए थे। अवैध कॉलोनियों को वैध करने में कौन सी सदस्यता देखी गई? 25 साल पहले जिन्होंने प्लॉट लिए थे, उन्हें यह नियम नहीं पता थे, जो अब जांच में सामने आ रहे हैं। पूरे मामले में संस्था के 100 से ज्यादा सदस्य शनिवार को कलेक्टर डॉ. इलैया राजा टी से मिलेंगे और अपनी बात रखेंगे। दो दिन पहले यह मेंबर सीएम से भी मिलने वाले थे।

कृषि उपयोग की थी जमीन, इसी आधार पर भूमाफियाओं ने रजिस्ट्री करवा ली

अयोध्यापुरी की जमीन मास्टर प्लान में पीएसपी लैंड यूज के तहत प्रस्तावित की गई थी। पहले यह जमीन कृषि उपयोग की थी। इसी आधार पर कुछ भूमाफियाओं ने इसकी रजिस्ट्री करवा ली थी। साल 2008 में यहां के सदस्यों ने कॉलोनी को नियमित करने का आवेदन दिया, तब से अब तक विवाद थमा नहीं है। एक साल पहले पूर्व कलेक्टर मनीष सिंह ने जांच करवाई थी और कुछ लोगों पर एफआईआर करवाई गई थी। इसके बाद मौके पर सदस्यों ने बाउंड्रीवॉल बना ली। कुछ ने तो यहां फैक्टरी, गोडाउन और अन्य उपयोग भी शुरू कर दिए।

अब नई सूची से सदस्यों की धड़कन फिर बढ़ गई है। यदि नई सूची के मुताबिक आवंटन और सीमांकन होता है तो अब तक की पूरी प्रक्रिया शून्य मानी जाएगी। हालांकि प्रशासन का कहना है कि अभी जमीन को लेकर कोई बात नहीं की है। एक बार सूची फाइनल हो जाए तो जमीन पर बात करेंगे। अपर कलेक्टर सपना लौवंशी ने सहकारिता विभाग की सूची को फाइनल कर पूरी जांच की है।

  • 25 - साल पुराना विवाद फिर सामने आया
  • 27 - स्थानों पर है संस्था की जमीन
  • 2008 - में कॉलोनी को नियमित करने का आवेदन दिया था सदस्यों ने

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