पुरी में रथ यात्रा के दौरान मंदिर और आसपास के इलाके श्रद्धालुओं से पटे हुए हैं।
डिशा के पुरी में चल रही रथ यात्रा में भगवान बलभद्र का रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गया है। सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ का रथ रास्ते में ही रुक गया है।
रात करीब साढ़े 8 बजे तक भगवान बलभद्र का रथ गुंडिचा मंदिर पहुंच गया था। बहन सुभद्रा का रथ बड़ाशंख इलाके में रोका गया। पीछे चल रहे भगवान जगन्नाथ का रथ मौसीमा चौक पर ही रुका है।
यह जगह गुंडिचा मंदिर से महज 300 मीटर की दूरी पर है। बुधवार सुबह पूजन के बाद रथों को मंदिर पहुंचाया जाएगा।
गुंडिचा मंदिर को भगवान की मौसी का घर माना जाता है। इसीलिए रथ यात्रा को गुंडिचा जात्रा भी कहते हैं। यह मंदिर जगन्नाथ धाम से करीब 3 किमी दूर है।
इससे पहले मंगलवार दोपहर रथ यात्रा शुरू हुई थी। सबसे आगे भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज रहा। उनके पीछे देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन चल रहा था। आखिर में भगवान जगन्नाथ का रथ था, जिसे नंदीघोष या गरुड़ध्वज के नाम से जाना जाता है। रथ यात्रा में करीब 25 लाख लोग शामिल हुए, जिन्होंने रस्सियों के जरिए भगवान के रथों को खींचा।
शंकराचार्य ने पूजा की, राजा ने सोने के झाड़ू से रास्ता बुहारा
रथयात्रा के दिन सुबह मंगला आरती के बाद भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया गया। फिर रथों की पूजा कर बलभद्र, बहन सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ को रथ में बैठाया गया। पुरी के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने प्रथम दर्शन किए। पुरी राजपरिवार के दिव्यसिंह देव ने रथ के सामने सोने के झाड़ू से बुहारा लगाया। इसके बाद रथ यात्रा शुरू हुई।
सबसे पीछे चलता है भगवान जगन्नाथ का रथ
- रथ यात्रा में सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ होता है। यह तकरीबन 45 फीट ऊंचा और लाल और हरे रंग का होता है। इसमें 14 पहिए लगे होते हैं। इसका नाम 'तालध्वज' है।
- इसके पीछे 'देवदलन' नाम का करीब 44 फीट ऊंचा लाल और काले रंग का देवी सुभद्रा का रथ होता है। इसमें 12 पहिए होते हैं।
- आखिर में भगवान जगन्नाथ का रथ चलता है। इसका नाम 'नंदीघोष' है, जो कि पीले रंग का लगभग 45 फीट ऊंचा होता है। इनके रथ में 16 पहिए होते हैं। इसे सजाने में लगभग 1100 मीटर कपड़ा लगता है।
पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा की तस्वीरें...
अहमदाबाद में देश की दूसरी सबसे बड़ी जगन्नाथ रथ यात्रा
भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंगलवार को देशभर में निकाली गई। ओडिशा के पुरी में होने वाली रथयात्रा के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी रथयात्रा अहमदाबाद के जमालपुर स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर में होती है। गृहमंत्री अमित शाह ने सुबह जमालपुर जगन्नाथ मंदिर में परिवार समेत मंगला आरती की।
अहमदाबाद में रथयात्रा सुबह 7 बजे शुरू हो गई। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल पाहिंद विधि कर रथ यात्रा की शुरुआत की। इससे पहले सुबह 4.30 बजे भगवान को खिचड़ा हुआ। 6.30 बजे भगवान की तीनों मूर्तियों को रथ में विराजमान किया गया।
अहमदाबाद में जगन्नाथ रथ यात्रा की तस्वीरें...
स्वागत के लिए मुस्लिम समुदाय भी शामिल
अहमदाबाद में भगवान के स्वागत के लिए कई मंडल जगह-जगह मौजूद हैं। इनमें मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल हैं। भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा के साथ भगवान जगन्नाथ का भव्य रथ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है। सजे-धजे हाथी-घोड़ों के अलावा ऊंटों का एक काफिला भी इसमें शामिल है। ट्रकों में सवार बच्चों से लेकर बड़ों तक में उत्साह है।
28 जून को मौसी के घर से मंदिर लौटेंगे भगवान
आज शाम तकरीबन 6 बजे तक भगवान जगन्नाथ के गुंडिचा मंदिर पहुंचने की संभावना है। वहां भगवान अपने बड़े भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 7 दिन तक रुकेंगे। इसके बाद पंचांग के मुताबिक आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को, यानी 28 जून को वापस मंदिर लौटेंगे। मंदिर लौटने वाली इस यात्रा को बहुड़ा यात्रा कहा जाता है।
पुरी में आज से भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा की शुरुआत हो रही है। रात 10:04 बजे जगन्नाथ जी, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे। अगले दिन रात 7.09 बजे वे अपनी मौसी के घर यानी गुंडिचा मंदिर जाएंगे और 9 दिनों तक वहीं रुकेंगे। इसके बाद वापस जगन्नाथ मंदिर लौट आएंगे।
पुरी-अहमदाबाद के बाद तीसरी सबसे बड़ी रथयात्रा इंदौर की
शहर के छत्रीबाग क्षेत्र में रहवासियों का उत्साह कुछ दिनों से चरम पर है। यहां भगवान वेंकटेश मंगलवार शाम को उन्हें दर्शन देने निकलेंगे। चारधाम में से एक पुरी के भगवान जगन्नाथ की ऐतिहासिक रथयात्रा के दिन ही यह यात्रा भी 75 वर्षों से निकाली जा रही है। पहली यात्रा जानकीनाथ मंदिर गौराकुंड से निकली थी। विग्रह को ठेले पर रखकर 40 से 50 लोगों ने यात्रा निकाली थी।
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