विश्व पर्यावरण दिवस पर मातृशक्तियों ने जीवन के लिए पेड़-पौधे और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया और पौधारोपण किया। टी.वी. और सिने अभिनेत्री सारिका दीक्षित ने कहा कि जितनी शिक्षा जरूरी है, उतना ही बच्चों को प्रकृति के साथ जोड़ना भी जरूरी है। तभी हम आने वाले कल में सांस ले सकेंगे।
खजुरी बाजार, जूनी कसेरा बाखल स्थित सार्वजनिक ब्रह्मलीन मनीष शर्मा उद्यान में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर पौधारोपण एवं प्रकृति के संरक्षण पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मातृशक्तियों ने पेड़-पौधे लगाने ही नहीं, बल्कि उनका बड़े होने तक पालन-पोषण करने और प्रकृति संरक्षण का संकल्प लिया। कार्यक्रम की विशेष अतिथि समाजसेवी दिव्या मंडलोई, टी.वी. और सिने अभिनेत्री सारिका दीक्षित, पूर्व पार्षद सुनीता सोलंकी एवं प्रकृति व पर्यावरणविद् पिंकी वर्मा थीं। श्रीमती मंडलोई ने कहा कि सीमेंट-कांक्रीट के जंगल बसाने से कुछ नहीं होगा, हम सभी को पर्यावरण के लिए आगे आना होगा। इसके लिए अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाएं और प्रकृति का संरक्षण करें। अभिनेत्री सारिका दीक्षित ने कहा कि जैसे हम अपने बच्चों को शिक्षा, संस्कृति और धर्म का पाठ पढ़ाते हैं, उसी तरह उन्हें बचपन से ही पेड़-पौधे लगाने और प्रकृति संरक्षण की शिक्षा भी देना चाहिए। श्रीमती पिंकी वर्मा ने कहा कि जरूरी नहीं है कि पेड़-पौधे के लिए जगह की तलाश की जाए, जिस घर में हम रहते हैं, वहां भी कई तरह के पौधे लगा सकते हैं। छत पर भी गार्डनिंग की जा सकती है। अपने मोहल्ले और बगीचों में जाकर वृक्षों एवं पौधों की सेवा की जा सकती है। कार्यक्रम आयोजक श्रीमती सीमा शर्मा ने बताया कि जूनी कसेरा बाखल स्थित इस उद्यान में 25 वर्ष पूर्व असामाजिक तत्वों का कब्जा था और नशाखोरी के साथ ही यहां पर आवारा पशु भी बांध दिए गए थे। तब मनीष जी शर्मा ने इस उद्यान को कब्जे से मुक्त करने का बीड़ा उठाया और स्थानीय रहवासियों के सहयोग से इस बगीचे का उद्धार किया। आज यह उद्यान हरा-भरा और खिलखिला रहा है।
इस अवसर पर श्रीमती संगीता शर्मा, श्रीमती दुर्गा पवन शर्मा, फाल्गुनी व्यास, रूपा मेहता, संगीता जैन, सोनू जोशी, आकृति शर्मा, श्रेया शर्मा, पूर्व पार्षद सुनीता राजेश सोलंकी, मिष्टी शर्मा आदि मौजूद थे। समाजसेवी स्वरूप गुप्ता (मथुरावाला) भी इस दौरान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में जितने भी देवी-देवता हैं, सभी प्रकृति और पर्यावरण प्रेमी रहे हैं और वृक्षों में देवता भी निवास करते हैं। हमें जीवन और धर्म के लिए प्रकृति की देखभाल करना हाेगी।
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