अमावस्या पर उषा नगर एक्सटेंशन स्थित गजासीन शनि मंदिर पर भगवान शनि देव का विशेष श्रृंगार होगा। शनि देव को चांदी का मुकुट,चांदी के छत्र,चांदी की माला पहनाई जाएगी। रात 8 बजे भगवान की महाआरती होगी। शनिवार को भगवान शनि देव के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां आएंगे।
सुबह 9.11 बजे लगेगी अमावस्या
महामंडलेश्वर दादू महाराज के सान्निध्य में सुबह 6 बजे तिल-तेल से भगवान का अभिषेक किया जाएगा। शनि पीडा निवारण के लिए श्रद्धालुओं के लिए हवन किया जाएगा। महामंडलेश्वर ने बताया अमावस्या शनिवार को सुबह 9.11 बजे लग रही है जो रविवार को सुबह 10.06 बजे तक रहेगी। इसलिए दोनों दिन अमावस्या मानी जा रही है। दर्श अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है, पूर्वजों की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन पूर्वज धरती पर आकर अपने परिवारजनों को आशीर्वाद देते है। पितृ दोष निवारण के लिए यह दिन विशेष रहता है, इसलिए उनके निमित्त दान पुण्य करना चाहिए, जिससे वे भी प्रसन्न होकर जाते है। दर्श अमावस्या को चंद्र दर्शन करने से भाग्य वृद्धि भी होती है। मंदिर समिति के रामस्वरुप मूंदड़ा ने बताया रात 8 बजे महाआरती की जाएगी, जिसके बाद प्रसाद वितरण होगा।
शनि देव हो रहे वक्री, देंगे मिश्रित फल
महामंडलेश्वर दादू महाराज के मुताबिक वर्तमान में शनि देव अपनी स्वयं की राशि कुंभ में गोचर कर रहे है और 17 जून को शनि देव सुबह अमावस्या लगने के बाद 10.48 बजे पर वक्री अवस्था में जाने वाले है। शनि देव 4 नवंबर तक इसी अवस्था में रहेंगे, इस कारण शनि वक्री का प्रभाव कई राशियों पर रहेगा। शनि देव न्याय प्रिय देव है। शनि के वक्री होने का असर सभी राशियों पर अलग-अलग होगा, लेकिन कर्क, तुला, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि वालों को अधिक सावधानी की जरूरत है। वहीं मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह और मकर राशि वालों के लिए वक्री शनि देव का फल अच्छा रहेगा।
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