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खुद के प्रति दयालु और उदार रहें

  • अक्सर हम स्वयं के सबसे खराब समीक्षक होते हैं। अपनी सोच को एक सकारात्मक मोड़ दें। उसके लिए शुरुआत ऐसे कर सकते हैं...

1) नुकसान को पहचानें
खुद के प्रति नर्म रवैया अपनाना चाहते हैं तो सबसे पहले उस स्वभाव से वाकिफ हों जिससे आपको नुकसान पहुंचता है। जैसे जब आप बेचैन होते हैं तो हो सकता है आप जरूरत से ज्यादा काम करने लगते हैं और अपने सहकर्मियों से भी यही उम्मीद रखते हैं। इस तरह आप अपने कार्यस्थल में साथियों के बीच रहते हुए तनाव पैदा कर लेते हैं।

2) सकारात्मक बातें याद करें
तनाव में हैं और उस दौरान कोई सहकर्मी या सहयोगी आपको कोई एेसी सलाह देता है जिससे आप शांत हो जाते हैं, तो उसकी बातों पर गौर करें। ये आपके काम को लेकर की गई तारीफ हो सकती है या मन को शांत करने वाला कोई वाक्य। जब खुद के लिए गलत सोचें तो उसकी बातों को याद करें जिसने आपकी तारीफ की थी।

3) आगे के लिए तैयारी करें
अगर आपको लगता है कि खुद के प्रति थोड़ा उदार रवैया अपनाने से आप पहले से बेहतर निर्णय लेने के काबिल बन सकते हैं तो पहले अपनी बेचैनी को खत्म करने के प्रयास करें। खुद को शांत करने के लिए और तनाव दूर करने के लिए आप क्या कर सकते हैं, कागज पर लिख लें। ये नोट्स आपको आगे भी बहुत काम आएंगे।

4) मदद के लिए पूछ सकते हैं
आपके परिदृश्य केवल आप तक सीमित रहने चाहिए। अगर आप आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं तो किसी थैरेपिस्ट, मेंटर या दोस्त की मदद ले सकते हैं। उदाहरण के तौर पर जिन परिस्थितियों में आप अक्सर परेशान होते हैं उनकी लिस्ट बनाकर कोचिंग या थैरेपी सेशन में लेकर जाएं। इसके बाद थैरेपिस्ट के साथ मिलकर जवाब सामने लाएं।

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