प्रदेश के स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र अलग-अलग भाषाएं सीख सकेंगे। इसके तहत भारत के संविधान में उल्लेखित 22 भाषाओं का प्रारंभिक ज्ञान विद्यार्थियों को मिलेगा। नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) ने इसके लिए भाषा संगम नाम से मॉड्यूल तैयार किया है। अब राज्य शिक्षा केंद्र ने भी इस संबंध में सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को उनके जिलों में इसे शुरू करने के निर्देश जारी कर दिए हैं। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य यह है कि छात्रों को उनकी मातृभाषा के अलावा उन भाषाओं का भी ज्ञान हाे सके जिनमें उनकी रुचि है। इसके लिए हर भाषा के अलग-अलग क्यूआर कोड दिए गए हैं। जिसे स्कैन कर के इन्हें पढ़ा जा सकता है।
दो-तीन भाषओं को सीखने के लिए प्रेरित करें
इस संबंध में राज्य शिक्षा केंद्र के अधिकारियाें ने बताया कि विद्यार्थियों को दो-तीन भाषाओं का ज्ञान होगा तो यह उनके कॅरियर में भी सहायक होगा। इसमें विद्यार्थी आसमीज, बांग्ला, बोडो, डोगरी, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मैथिली, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़ीया, पंजाबी, संस्कृत, संथाली, सिंधी, तमिल, तेलुगु और उर्दू शामिल है। इस भाषा संगम को 22 वाल्यूम में तैयार किया गया है। खास बात यह है कि इसमें वीडियो भी तैयार किए गए हैं। जिसका ट्रांसलेशन इंग्लिश में भी है।
संवाद शैली में तैयार किए गए हैं
वीडियो और वाक्यों को संवाद शैली में तैयार किया गया है। यह छात्रों के लिए इसलिए प्रासंगिक हैं क्योंकि यह दैनिक जीवन से जुड़े हुए वाक्य हैं। इन वाक्यों को इस तरह से तैयार किया गया है जिसमें पहले मूल भाषा में फिर उसका हिंदी और इंग्लिश में अनुवाद किया गया है। इन्हें सीखने के लिए 20 दिन का समय निर्धारित किया गया है। वीडियो में शब्दों का उच्चारण और उनका अर्थ भी बताया गया है।
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