सिंधी समाज का चालीहा महोत्सव इन दिनों पूरी आस्था के साथ मनाया जा रहा है। इसकी शुरुआत 16 जुलाई से हो चुकी है, जो कि 25 अगस्त तक चलेगा। इसके तहत 21 जुलाई प्रथम शुक्रवार पर अनेक आयोजन किए जाएंगे, जिसमें कमलपुरी महाराज की भजन संध्या होगी। शाम को 8 बजे आरती की जाएगी और फिर पल्लव अरदास के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
गौरतलब है कि चालीहा पर्व 40 दिन चलता है। 40वें दिन पर चालीहा समाप्त होता है, जिसके बाद दरिया में मटकी डालके और अगले दिन पल्लव पाकर चालीहा महोत्सव का समापन किया जाता है। चालीहा महोत्सव के 40 दिन घरों में विशेष पूजन किया जाता है। जो महिलाएं मंदिर नहीं जा पाती हैं वे घर पर 40 दिन जल स्रोत कुआं, बावड़ी या तालाब की जगह मौजूदा समय के अनुरूप नल की पूजा करती हैं। इन दिनों में पुरुष व महिलाएं उपवास भी रखती हैं। पुरुष दाढ़ी-कटिंग नहीं बनवाते हैं। चालीहा महोत्सव के दौरान शहर के हर झूलेलाल मंदिरों में 40 दिन बड़ी धूमधाम से उत्सव मनाया जाता है और भक्तों का मेला लगता है। शहर में भी इन दिनों समाजजन परिवार सहित रोज सुबह झूलेलाल मंदिर जा रहे हैं और लाल साईं की ज्योत के दर्शन कर मत्था टेक रहे हैं। इस दौरान श्रद्धालु परिवार, समाज और देश की खुशहाली की कामना कर रहे हैं।
इस कारण मनाया जाता है चालीहा महोत्सव
बताया जाता है कि सिंध प्रांत के बादशाह मुखशाह के जुल्मों से परेशान होकर सिंधी समाज के लोगों ने 40 दिन तक व्रत किया था। इसके चालीसवें दिन भगवान झूलेलाल का अवतार हुआ। इसी की स्मृति में प्रति वर्ष सूर्य के कर्क राशि में आ जाने पर चालीहा उत्सव मनाया जाता है। इसी कारण यह महोत्सव इस बार 16 जुलाई से शुरू हुआ है और यह 25 अगस्त तक चलेगा।
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