इंदौर के रणजीत हनुमान मंदिर में सोमवार को गुरु पूर्णिमा महोत्सव पूरे उत्साह और भक्तिभाव के साथ मनाया गया। मंदिर परिसर में राम दरबार में संत कुटिया बनाई गई। जिसे घास-फूलों और लाइट से सजाया गया। यहां रणजीत हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी पं. दीपेश व्यास विराजमान हुए। जिसके बाद उनका पाद पूजन भक्तों ने किया। गुरु पूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत सोमवार को सुबह हुई। रणजीत हनुमान भक्त मंडल के सदस्यों ने राम दरबार में संत कुटिया तैयार की। पं. दीपेश व्यास के आने के साथ ही भक्तों ने उनका जोरदार स्वागत किया। जमीन पर बिछाई घास पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियों से और आतिशबाजी से उनका स्वागत किया गया।
मां के पैर छू कर लिया आशीर्वाद
राम दरबार में पहुंचते ही पं. दीपेश व्यास ने सबसे पहले अपनी मां आशा व्यास के पैर छू कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद संत कुटिया में अपने दिवंगत पिता पं. त्रिलोकीनाथ व्यास के चित्र का पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया। इसके बाद पं. व्यास के पाद पूजन का सिलसिला शुरू हुआ।
पैरों पर लगाया तिलक, पहनाई माला
गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन शुरू होने के साथ ही मंदिर में भक्तों का तांता लग गया। लाइन से भक्त एक-एक कर पं. व्यास के समक्ष पहुंचे और पाद पूजन किया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने पाद पूजन किया। भक्तों ने पं. व्यास के पैरों को धोने के साथ ही तिलक लगाया और माला पहनाकर उनका आशीर्वाद लिया। इस मौके पर भक्तों को प्रसाद भी वितरित किया गया। खास बात यह रही है कि भक्तों के साथ आए छोटे बच्चों को कॉपी और पेन का भी वितरण यहां से किया गया। सोमवार को करीब दो हजार से ज्यादा भक्तों ने गुरु पूजन किया।
पांच जरुरतमंद बुजुर्गों को देंगे सालभर का राशन
मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के पर्व पर रणजीत हनुमान भक्त मंडल द्वारा ये संकल्प लिया है कि वे इस बार पांच जरुरमंद बुजुर्गों के यहां सालभर के राशन की व्यवस्था करायेंगे, ताकि उन्हें भोजन को लेकर किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों से बच्चों को कॉपियों का वितरित किया जाता था। यह पहला साल है जब पांच जरुरतमंद बुजुर्गों के घर में सालभर का राशन भरा जाएगा।
भक्तों ने किया भजन और सुंदरकांड का पाठ
आयोजन में शामिल हुए भक्तों ने मंदिर परिसर में भजनों की प्रस्तुति दी। इसके साथ ही सुंदरकांड का पाठ भी किया। मंदिर में सुबह से लेकर शाम तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा। इस दौरान कई भक्तों को गुरु मंत्र भी दिए गए।
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