शेर अगर जंगल में रहता है तो राजा कहलाता है और यदि पिंजरे में रहता है, तो गुलाम हो जाता है और रिंग मास्टर के कहे अनुसार ही काम करता है। ऐसे ही व्यक्ति जब घर में रहता है तो गुलाम बन जाता है और त्यागी वृति हो जाता है तो नृसिंह बन जाता है। भगवान महावीर स्वामी ने कहा है कि हमेशा स्वतंत्र बनकर जियो।
दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद इंदौर एवं सोशल ग्रुप फेडरेशन, इंदौर रीजन के तत्वावधान में बड़ा गणपति स्थित मोदीजी की नसिया, इंदौर में आचार्य विहर्ष सागर जी महाराज ने उक्त उद्गार प्रकट किए। उन्होंने कहा स्वाध्याय से हमारी बहुत सारी अज्ञानताएं दूर हो जाती हैं। जिनवाणी के एक-एक शब्द को परम औषधि की संज्ञा दी गई है। हमारा पुण्य तेज है हमें जिनवाणी सुनाई जाती है। जिनवाणी में निज वाणी मत डालो। महाराज श्री कहा बंदे तद् गुणलब्धेय...हे प्रभु जो गुण आपके अंदर है मैं भी उनको धारण करूं और आपकी तरह पूजनीय हो जाऊं। भगवान का दूसरा नाम है जिन, जिनका दर्शन करते समय हमें अपना दर्शन हो जावें। आप स्वयं भगवान हो, अपने आप को पहचानो।
धर्म सभा को पूर्व में मुनि विजयेश सागर महाराज ने भी संबोधित किया, मुनि विश्व हर्ष सागर भी मंच पर विराजमान थे। दिगंबर जैन समाज सामाजिक संसद के प्रचार प्रमुख सतीश जैन ने बताया इस अवसर पर समाज श्रेष्ठी राकेश विनायका, हंसमुख गांधी, राजकुमार पाटोदी, रितेश पाटनी, पारस जैन (गदिया), पूर्व पार्षद पवन जैन सहित बड़ी संख्या में समाजजन मौजूद रहे। शुरू में मंगलाचरण पंडित रमेश चंद्र बांझल द्वारा किया गया। धर्म सभा का संचालन कमल काला ने किया। महाराज श्री के प्रवचन रोजाना सुबह 8:45 से हो रहे है।
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