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कामिका एकादशी आज:सुबह करें शिव जी और विष्णु जी का अभिषेक, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास जलाएं, जानिए एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम करें

आज गुरुवार (13 जुलाई) को सावन महीने की पहली एकादशी है। इस साल अधिकमास होने से सावन में चार एकादशियां रहेंगी। इस तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत उपवास किया जाता है। सावन में एकादशी होने से गुरुवार को शिव जी का भी अभिषेक कर सकते हैं। गुरु ग्रह के लिए चने की दाल और बेसन के लड्डू का दान कर सकते हैं। देवी-देवताओं की पूजा की शुरुआत प्रथम पूज्य गणेश जी की पूजा के साथ करनी चाहिए।

उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा से जानिए कामिका एकादशी पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...

एकादशी पर सुबह भगवान शिव और विष्णु जी का अभिषेक करें। तुलसी को जल चढ़ाएं। इसके बाद सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें। ध्यान रखें सूर्यास्त के बाद तुलसी को स्पर्श नहीं करना चाहिए। पूजा करते समय तुलसी को दूर से ही प्रणाम करें और आरती करें।

एकादशी पर स्नान करते समय पानी में थोड़ा का गंगाजल मिला लेना चाहिए। ऐसा करने से घर पर ही तीर्थ स्नान से मिलने वाले पुण्य के बराबर पुण्य मिल सकता है। स्नान करते समय पवित्र नदियों का भी ध्यान करना चाहिए।

स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। इसके लिए तांबे के लोटे का इस्तेमाल करें। लोटे में पानी भरें और चावल, कुमकुम, लाल फूल भी डालें। इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए अर्घ्य अर्पित करें।

शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल और चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, आंकड़े के फूल, गुलाब आदि से श्रृंगार करें। चंदन से तिलक करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। बिल्व पर मिठाई रखकर भगवान को लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा एक साथ करें। विष्णु-लक्ष्मी की प्रतिमा का अभिषेक करें। वस्त्र, हार-फूल, आभूषण से श्रृंगार करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं और ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। मंत्र जप कम से कम 108 बार करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें।

गुरुवार को गुरु ग्रह के लिए भी दान-पुण्य करना चाहिए। जरूरतमंद लोगों को चने की दाल पीले कपड़े और बेसन के लड्डू का दान करें। गुरु ग्रह की पूजा शिवलिंग रूप में की जाती है, इसलिए शिव जी की पूजा में पीले फूल चढ़ाएं। किसी गोशाला में हरी घास और धन का दान करें।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के साथ लगाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इसके साथ ही कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जप करें।

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