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श्रावण के पहले दिन के भस्म आरती दर्शन:भगवान महाकाल का भांग, चंदन, त्रिपुंड, ॐ अर्पित कर राजा स्वरूप श्रृंगार

श्रावण माह के पहले दिन मंगलवार को महाकाल मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज उठा। भक्तों का उत्साह ऐसा था कि भस्म आरती के लिए रात 12 बजे से मंदिर पहुंच चुके थे। तड़के 2.30 बजे महाकाल मंदिर के पट खोलने के पश्चात भगवान को भस्म चढ़ाकर पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया।

भगवान महाकाल का भांग, चंदन से राजा स्वरूप दिव्य श्रृंगार कर आरती संपन्न की गई।

2 ज्योतिर्लिंगों में दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के मंदिर में श्रावण माह के पहले दिन अल सुबह भस्म आरती में भगवान महाकाल पहला पूजन हुआ। पुजारी गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का जलाभिषेक कर दूध दही घी शक्कर शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल पूजन किया। हरि ओम जल चढ़ा कर कपूर आरती के बाद भांग चन्दन अबीर के साथ महाकाल ने मस्तक पर ॐ चंद्र और त्रिपुण्ड अर्पित कर राजा स्वरूप में श्रंगार किया गया। श्रृंगार पूरा होने के बाद ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्मी रमाई गई,और आखिरी में भगवान की विशेष भस्म आरती की गई। 4 जुलाई मंगलवार से श्रावण माह की शुरूवात हो चुकी है "श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भक्तो की बढ़ती हुई संख्या उनकी सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए प्रबंध समिति ने 4 जुलाई से 11 सितंबर तक गर्भ गृह में प्रवेश प्रतिबंध किया है। मंदिर के पुजारी महेश गुरु के अनुसार अधीक मास का योग 3 साल में एक बार होता है।

दो माह तक विशेष कृपा बरसेगी महाकाल की -

पुजारी महेश गुरु ने बताया कि आज पहला दिन है श्रावण माह का आज से दो माह तक उत्सव मनाया जाएगा क्योंकी इस बार अधिक मास का विशेष योग है। मंदिर में परंपरा रही है श्रावण मास की 4 या 5 सवारियां होती है और दो सवारी भाद्र पद (भादौ मास) की होती है जिसमें बाबा नगर भ्रमण पर हर सोमवार भक्तो का हाल जानने शाही ठाठ बाट के साथ निकलते है। लेकिन इस बार अधीक मास होने से 8 सवारी श्रावण की व 2 सवारी भादौ मास की कूल 10 सवारी रहेगी। पहले सोमवार पर भगवान भक्तो को चंदमोलेश्वर व मनमहेश रूप में दर्शन देंगे इसी प्रकार हर सोमवार को एक एक वाहन और विग्रह के रूप में प्रतिमा बढ़ती जाएगी व कूल 10 विग्रह भगवान के निकलेंगे।

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