केदारनाथ जाना प्रत्येक भारतीय का स्वप्न होता है। केदारनाथ का मुख्य रास्ता गौरीकुंड से जाता है, लेकिन आज हम बताने जा रहे हैं केदारनाथ जाने के एक और रास्ते के बारे में। इस रास्ते की जानकारी बहुत कम लोगों को है और इस रास्ते से न के बराबर लोग जाते हैं। यह रास्ता शुरू होता है चौमासी से। गुप्तकाशी से कालीमठ होते हुए चौमासी 25 किमी दूर है। चौमासी समुद्र तल से करीब 2,100 मीटर ऊपर है और यहां पर सड़क समाप्त हो जाती है। यहां ठहरने के लिए बेसिक होमस्टे और भोजन के लिए बेसिक ढाबे मिल जाएंगे। चौमासी में रात रुकना ठीक रहता है, क्योंकि आगे घना जंगल है और कोई आवाजाही न होने के कारण जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है।
जून 2013 में जब केदारनाथ में आपदा आई थी, तो हजारों लोग अपनी जान बचाने को ऊपर जंगलों में चले गए थे। उस समय गौरीकुंड से केदारनाथ वाला मुख्य रास्ता पूरी तरह समाप्त हो गया था। रास्ता न होने के कारण बचाव अभियान में भी बड़ी समस्याएं आ रही थीं। तब चौमासी वाले रास्ते से बचाव अभियान चलाया गया था और हजारों लोगों को इसी रास्ते से निकाला भी गया था। जून 2013 से पहले चौमासी वाला यह रास्ता स्थानीय ग्रामीणों के ही काम में आया करता था, लेकिन आपदा के बाद इस रास्ते ने अपनी उपयोगिता सिद्ध कर दी और बाद में इस रास्ते को और अच्छा बनाया गया। सरकार की योजना थी कि इस रास्ते को विकसित करके इससे भी यात्रा करने को प्रोत्साहित किया करेंगे, ताकि गौरीकुंड पर भीड़ का दबाव कम किया जा सके। लेकिन आज भी यह रास्ता प्रसिद्ध नहीं हो पाया है।
देवदार और बुरांस के पेड़ों से युक्त सदाबहार वन
चौमासी से निकलते ही घना जंगल आरंभ हो जाता है। इस घाटी में चौमासी से आगे कोई भी गांव नहीं है, इसलिए आवाजाही न के बराबर होती है। देवदार और बुरांस के पेड़ों से युक्त यह जंगल सदाबहार वन है और छोटे-बड़े कई जलप्रपात यहां देखने को मिलते हैं। इसमें तेंदुआ और हिमालयी काला भालू समेत कई जंगली जानवर देखने को मिल सकते हैं। इसलिए यहां अकेले जाना सुरक्षित नहीं है। इन जंगलों में और आगे बुग्यालों में स्थानीय भेड़पालक अपनी भेड़-बकरी चराते मिल जाएंगे। ये यहां अपनी अस्थायी झोंपड़ी बनाकर रहते हैं। इन झोंपड़ियों को छानी कहते हैं। देर-सवेर होने पर इन छानियों में रुका भी जा सकता है।
फूलों की घाटी जैसे दिखते हैं बुग्याल
चौमासी से लगभग 10 किमी चलने के बाद जंगल समाप्त हो जाते हैं और घास के मैदान आरंभ हो जाते हैं। उत्तराखंड में पर्वतों की ऊंचाइयों पर स्थित ऐसे मैदानों को बुग्याल कहा जाता है। सर्दियों में बुग्यालों में खूब बर्फ पड़ती है। गर्मियां आने पर बर्फ पिघलती है और फिर घास पैदा होती है। इनमें अनगिनत रंग-बिरंगे फूल भी होते हैं। मानसून में बुग्याल फूलों की घाटी जैसे दिखने लगते हैं। इस बुग्याल का नाम खाम बुग्याल है और मानसून में फूल खिलने के बाद इसकी खूबसूरती चरम सीमा तक पहुंच जाती है। खाम बुग्याल से केदारनाथ जाने के लिए दो रास्ते हो जाते हैं। एक रास्ता लिंचोली निकलता है और दूसरा रास्ता सीधे केदारनाथ निकलता है। लिंचोली वाला रास्ता आसान है, जबकि सीधे केदारनाथ निकलने वाला रास्ता अत्यधिक दुर्गम है।
क्या रखें सावधानियां?
- इस रास्ते पर आवागमन बिल्कुल भी नहीं है, इसलिए अकेले यात्रा न करें। हमेशा ग्रुप में ही यात्रा करें।
- जंगल में और आगे बुग्याल में रास्ता भटकने का डर रहता है, इसलिए हमेशा स्थानीय गाइड के साथ ही यात्रा कीजिए। चौमासी से गाइड मिल जाएंगे।
- चौमासी से केदारनाथ लगभग 20 किमी है। इसलिए बेहतर है कि रास्ते में एक रात का स्टे अवश्य कीजिए।
- अपने साथ कुछ भोजन, राशन और टैंट, स्लीपिंग बैग ले जाना ठीक रहता है, क्योंकि इस रास्ते में कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
- मानसून में जोंकों का खतरा रहता है, इसलिए अपने साथ नमक अवश्य रखिए।
- बारिश किसी भी समय हो जाती है, इसलिए छाता, रेनकोट आदि लेना ठीक रहता है।
चौमासी कैसे जाएं?
हरिद्वार से 200 किमी दूर गुप्तकाशी है। गुप्तकाशी के लिए बसें आसानी से मिल जाती हैं। गुप्तकाशी से 25 किमी दूर चौमासी है। गुप्तकाशी से चौमासी के रास्ते में प्रसिद्ध कालीमठ भी स्थित है। गुप्तकाशी से चौमासी तक कोई बस नहीं चलती, लेकिन गुप्तकाशी से टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं।
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