श्री अमरनाथ यात्रा पर बारिश ने गुरुवार से ब्रेक लगा रखा है। शुक्रवार की रात पहाड़ों पर बर्फबारी हुई। शनिवार सुबह 5 इंच बर्फ जमी दिखाई दी। शनिवार रात 8 बजे बाद तेज हवा चलने लगी। बदले मौसम को देखते हुए कई श्रद्धालु बीच यात्रा से घर लौटना चाहते हैं।
इंदौर से आए अमित कुमार निगम और रूपकुमार परदेशी ने बताया, हम बी ब्लॉक में हैं। दो दिन से टेंट में रहकर परेशान थे। अब बदले मौसम ने चिंता बढ़ा दी है। अजय कुमार जैन ने कहा, हम चार लोग यात्रा के लिए निकले हैं। ऐसे मौसम को देखकर लौटने का विचार भी आ रहा है।
उम्मीद है सोमवार को यात्रा शुरू हो जाए। फिलहाल शेषनाग और पंचतरणी कैंप में 28 हजार से ज्यादा श्रद्धालु फंसे हैं। वहीं नुनवान कैंप में भी 15 से 20 हजार श्रद्धालु रुके हैं। दूसरी ओर जम्मू और बालटाल कैंप पर यात्री बड़ी संख्या में पहुंच रहे हैं। यात्रियों के लौटने का सिलसिला भी इन दोनों कैंप से तेज हो गया है।
- 08 - बजे बाद शनिवार रात को तेज हवा चलने लगी।
- 05 - इंच बर्फ जमी दिखाई दी शनिवार सुबह।
- 02 - दिन से ज्यादा हो गए हैं कैंप में लोगों को
हर दिन टेंट के रेट कम कर रहे
श्राइन बोर्ड के अधिकारी यात्रियों की सुविधा के लिए टेंट के चार्ज हर दिन कम करते जा रहे हैं। पश्चिम बंगाल से आए युवा सौरव ने बताया, शेषनाग कैंप में हर व्यक्ति के लिए 500 रुपए लिए थे। दूसरे दिन रेट 250 और तीसरे दिन 200 रुपए रहे। वे और उनके साथ आए अनुराग अब बारिश से परेशान हो चुके हैं और जल्दी गुफा तक पहुंचना चाह रहे हैं।
यात्रा मार्ग सुधार रहे, लंगर में खाना भी पर्याप्त
4 आईटीबीपी के कमांडेंट बीआर मीणा ने बताया, सुरक्षा बल और बीआरओ के जवान खराब मौसम में भी लगातार यात्रा मार्ग सुधार रहे हैं। वहीं लंगर में सुबह की चाय के बाद नाश्ता और दोनों समय का भोजन भक्तों को दिया जा रहा है। नौंवी बार यात्रा कर रहे प्रतीक व्यास ने बताया, यात्रा रुकने के बाद भी खाने-पीने की कोई कमी नहीं हो रही है।
मौसम से बीमार हो रहे लोग, अस्पताल में भीड़
लगातार हो रही बारिश और ऊंचाई की वजह से कई लोग बीमार हो रहे हैं। शेषनाग बेस कैंप पर लगी ओपीडी में मरीजों का आना दिनभर जारी रहा। वहां तैनात डॉक्टर के मुताबिक कुछ लोगों को इमरजेंसी के चलते नीचे की ओर भेजा गया है। वहीं अधिकतर का इलाज यहीं अस्पताल में किया जा रहा है। कोटा, राजस्थान से आई वैशाली भारद्वाज ने बताया पीसु टॉप पर चढ़ना ही हमारे पूरे परिवार के लिए संभव नहीं हो रहा था। घोड़े की सहायता से शेषनाग कैंप तक पहुंचे। अब आगे जाने से डर लग रहा है।
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