शनिवार, 12 अगस्त को सावन महीने के अधिक मास की एकादशी है। ये सावन अधिक मास की अंतिम एकादशी है, इस कारण इसका महत्व काफी अधिक है। शनिवार को ये तिथि होने से इस दिन विष्णु जी और शिव जी के साथ ही शनि देव की भी पूजा जरूर करनी चाहिए।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, सावन महीने का अधिक मास 19 साल बाद आया है और इस महीने की एकादशी पर किए गए व्रत-उपवास से कुंडली के ग्रह दोष भी शांत हो सकते हैं। माना जाता है कि एकादशी व्रत से जीवन में सुख-शांति आती है। जानिए एकादशी और शनिवार के योग में कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं...
सूर्य पूजा से करें दिन की शुरुआत
एकादशी पर सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं। ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करते हुए सूर्य को अर्घ्य चढ़ाएं। इसके बाद घर के मंदिर में भगवान विष्णु के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें।
विष्णु पूजा में सबसे पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। गणेश जी को स्नान कराएं। वस्त्र, हार-फूल अर्पित करें। तिलक लगाएं। दूर्वा चढ़ाएं। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इसके बाद विष्णु जी की पूजा शुरू करें। विष्णु जी के साथ महालक्ष्मी की मूर्ति भी जरूर रखें।
देवी-देवता को जल चढ़ाएं। दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और भगवान का अभिषेक करें। इसके बाद जल से अभिषेक करें। भगवान को पीले चमकीले वस्त्र अर्पित करें। हार-फूल पहनाएं। चंदन लगाएं। इत्र और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें।
विष्णु जी और देवी लक्ष्मी को तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाना चाहिए। धूप-दीप जलाकर आरती करें।
पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। पूजा के अंत में भगवान से पूजा में हुई जानी-अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे। इसके बाद घर के लोगों को प्रसाद वितरीत करें और खुद भी ग्रहण करें।
शनिवार को ऐसे कर सकते हैं शनि पूजा
शनिवार और एकादशी के योग में शनि पूजा जरूर करें। शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: का जप करते हुए शनि देव को सरसों का तेल चढ़ाएं। तेल का दीपक जलाएं। काले तिल से बना भोग अर्पित करें। धूप-दीप जलाकर आरती करें। इस दिन जरूरतमंद लोगों को काले तिल और तेल दान करें। छाते का दान करें।
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