इंदौर में अहिल्या उत्सव समिति द्वारा देवी अहिल्या के 228 वें पुण्य स्मरण पर आयोजित विद्यालयीन शिक्षकों के लिए वक्तृत्व स्पर्धा आयोजित की गई। विषय था 'ऑनलाइन शिक्षा एवं पारंपरिक शिक्षा में समन्वय' मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री एवं नई पीढ़ी के करियर मार्गदर्शक जयंतीलाल भंडारी शामिल हुए। पूर्व लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन भी मौजूद थीं। स्पर्धा का आयोजन जैन दिवाकर कॉलेज ऑडिटोरियम में था।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए हुए भंडारी ने कहा 2023 में नई शिक्षा लागू हुई इसमें नई पीढ़ी के कदम परंपरागत शिक्षा की तरफ बढ़े। देश में विकास की बात तभी सफल होगी जब नई पीढ़ी के युवकों की एक मुट्ठी में परंपरागत शिक्षा एवं दूसरी मुट्ठी में ऑनलाइन शिक्षा रहेगी। क्योंकि पूरी दुनिया डिजिटल होने से शिक्षकों की जिम्मेदारी बहुत बढ़ गई है। उन्हें ही समन्वय बैठाना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व कुलपति नरेंद्र धाकड़ ने की और इस समन्वय का समर्थन किया।
हम अपनी जड़ों को छोड़ नहीं सकते
शिक्षिका प्रमाणिक तिवारी ने कहा कि पारंपरिक शिक्षा हमारी जड़ है। हम जड़ों को छोड़ नहीं सकते। समन्वय हमारे देश के भविष्य के लिए उपयुक्त है परंतु हमें यह जानना आवश्यक है कि ऑनलाइन माध्यम का युवा सही उपयोग कर रहा है या नहीं। देखने में आ रहा है इसके दुरुपयोग से साइबर क्राईम,वेब फ्रॉड हो रहे हैं।
युवा पीढ़ी को सही संस्कार देना ही समन्वय है। जो पारंपरिक शिक्षा से ही संभव है। इसका समन्वय शिक्षक को करना ही होगा। सीमा डोंगरे ने कहा की स्वामी विवेकानंद ने शिक्षा को अपने अंदर के गुणों को निखारने वाली विद्या बताया था।
समाज बदलाव चाहता है। विकसित हो रहे देश में विज्ञान के साथ में पारंपरिक शिक्षा का समावेश होना जरूरी है। ऑनलाइन शिक्षा में फैली भ्रांतियों से युवा वर्ग परिश्रम से बचेगा। घर पर बैठकर बढ़ने से उसकी कार्य शीलता कम होगी यह सब ठीक नहीं है।
ऑनलाइन शिक्षा से पर्यावरण स्वस्थ रहेगा। खर्चा बचेगा, समय बचेगा, छोटे बच्चों के बस्तों का बोझ कम होगा। लेकिन इसमें पारंपरिक शिक्षा का भी समावेश होना चाहिए। जिसमें शिक्षक बच्चों के चेहरे से समझकर उनकी परेशानियां और उनकी डिफिकल्टी को समझकर नए तौर-तरीके सिखाएं जैसे शिक्षा में वीडियो का उपयोग करके भी बच्चों को समझाया जा सकता है।
पारंपरिक शिक्षा विद्यालय में, ऑनलाइन शिक्षा महाविद्यालय में हो
निर्मला जायसवाल ने कहा कि शिक्षा व्यक्ति का निर्माण करती है। आज की शिक्षा दो भागों में विभाजित है। ऑनलाइन एवं पारंपरिक दादाजी, पिताजी एवं बच्चों की पढ़ने की तकनीक में परिवर्तन जरूर आया है इनका समन्वयक टेक्नोलॉजी के साथ में किया जाना चाहिए।
अभिभावक की जिम्मेदारी सिर्फ बच्चों को मोबाइल एवं कंप्यूटर देकर पूरी नहीं हो जाती। उन्हें यह देखना होगा समन्वय बिठाना होगा कि बच्चा क्या देख रहा है और तकनीक का उपयोग कैसे कर रहा है। तकनीक बुरी नहीं है लेकिन स्कूली शिक्षा को पारंपरिक रखना चाहिए। जब विद्यार्थी परिपक्व हो जाए विद्यालय में चला जाए तब उसे तकनीकी का उपयोग करना चाहिए।
अंजू कौशल ने कहा कि पारंपरिक शिक्षा में हम सब कर्तव्य पालन,आज्ञा पालन, मिल जुलकर रहना सीखते थे। ऑनलाइन आज की आवश्यकता है यूजीसी में भी 25% कार्य ऑनलाइन प्रशिक्षण के द्वारा करने की बात कही गई है।
सही समय पर क्रियाशीलता लक्ष्य प्राप्ति में सहायक
दीपक पांचाल ने कहा पारंपरिक और ऑनलाइन शिक्षा का मतलब है दोनों के बीच में सामंजस्य दोनों के बीच में क्रिया सही समय पर होगी तो लक्ष्य की प्राप्ति में आसानी होगी। 1993 से दूरस्थ शिक्षा में हमने इन विधाओं का प्रयोग डीवीडी,पेन ड्राइव आदि के माध्यम से किया था लेकिन वांछित परिणाम नहीं आए। कोरोनावायरस के बाद डिजिटल दुनिया में 60 वर्ष की उम्र में भी शिक्षक टेक्नोलॉजी सीख कर विद्यार्थियों से समन्वय बना रहे हैं। कोरोना ने एक विकल्प जरूर दिया है लेकिन यह पारंपरिक शिक्षा का स्थान नहीं ले सकता। इसमें समन्वय जरूरी है।
आई कांटेक्ट शिक्षा में जरूरी
अनीता सोलंकी ने कहा कि गुरु शिष्य परंपरा में आई कांटेक्ट का बहुत महत्व होता है। ऑनलाइन शिक्षा एक गाइड का काम कर सकती है। विकल्प नहीं हो सकती। प्राची माहेश्वरी आयुषी सहित कई शिक्षकों ने प्रतियोगिता में अपने विचार प्रस्तुत किए। मीडिया प्रभारी राम मुंदडा एवं नितिन तापड़िया ने बताया कि कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से की गई स्वागत संस्था के सचिव सरयू वाघमारे, सुधीर देडगे,अनिल भोजे, विनीता धर्म ,वृंदा गौड़, सरिता मंगवानी ने किया।
स्वागत भाषण कार्यकारी अध्यक्ष अशोक डागा ने दिया संचालन इतिशा शर्मा ने किया। आभार विनीता धर्म ने माना। इस कार्यक्रम के निर्णायक रेणु झा, प्रिंसिपल जैन दिवाकर कॉलेज B.Ed सेक्शन, किरण दम्मानी प्रिंसिपल गुजराती B.Ed कॉलेज, एवं संगीता भरूका प्रिंसिपल केके विज्ञान एवं व्यवसायिक महाविद्यालय थी।
प्रथम पुरस्कार आरके डागा महेश्वरी अकैडमी के शिक्षक दीपक पांचाल द्वितीय पुरस्कार निर्मला जायसवाल श्री हरी पब्लिक स्कूल एवं तृतीय पुरस्कार प्रमाणिका तिवारी मालव शिशु विहार स्कूल ने प्राप्त किया। इस अवसर पर माला सिंह ठाकुर अक्षय पाहुलकर हर्षवर्धन लिखेते, निलेश उपाध्याय ,निलेश केदारे, सौरभ खंडेलवाल, सुशीला कुछेकर ,मनीषा सुपेकर, यशस्वी दीक्षित ,अक्षय पाहुलकर आदि मौजूद थे।
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