संभागायुक्त ने सोमवार को एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डीन व विभाग प्रमुखों की बैठक ली। डॉक्टरों से कहा कि मरीजों से लगातार फीडबैक लेते रहें कि उन्हें इलाज में किसी तरह की परेशानी तो नहीं आ रही। संभागायुक्त माल सिंह भयड़िया, जिस वक्त यह बात कह रहे थे, उसी वक्त डॉक्टरों ने करोड़ों रुपए की लागत से तैयार अस्पतालों के निर्माण की पोल खोलना शुरू की। डॉक्टरों ने बताया कि कहीं वाटर लीकेज हो रहा तो कहीं टाइल्स उखड़ रही है। कहीं पर तो ड्रेनेज ही चोक है।
बैठक में डीन डॉ. संजय दीक्षित के साथ पीआईयू और हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी भी मौजूद थे। निर्माण में लापरवाही पर संभागायुक्त ने निर्माण एजेंसी के अधिकारियों को लेकर नाराजगी जताई। कड़े शब्दों में चेताया कि इन कमियों को दूर करें, अन्यथा वैधानिक कार्रवाई की जाएगी। यदि गंभीर लापरवाही मिली तो एफआईआर से भी पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता की टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए। संभागायुक्त ने यह भी साफ कर दिया कि उनका औचक निरीक्षण का सिलसिला जारी रहेगा।
अस्पतालों की बदहाली के लक्षण, तलघर में पानी, लिफ्ट भी बंद
250 करोड़ का सुपर स्पेशिएलिटी :
शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट में फॉल्स सीलिंग गिर रही है। पानी का रिसाव हो रहा है।
50 करोड़ का एमटीएच :
स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग प्रमुख डॉ. नीलेश दलाल ने बताया बारिश में तलघर में पानी भर जाता है। लिफ्ट बंद करना पड़ती है। एक हिस्से में ड्रेनेज चोक है। ओटी में काई जम जाती है।
20 करोड़ का स्कूल ऑफ आई फाॅर एक्सीलेंस :
यहां फायर फाइटिंग टैंक में लीकेज की परेशानी डॉक्टरों ने बताई।
एमआर टीबी :
टीबी एंड चेस्ट विभाग के प्रमुख डॉ. सलिल भार्गव ने कहा फॉल्स सीलिंग गिर जाती है। पानी का लीकेज होता है। बारिश में ज्यादा दिक्कत हो रही। वहीं, एमवायएच अधीक्षक ने अस्पताल के कामकाज, मरीज और मॉड्यूलर ओटी के बारे में बताया तो मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. वीपी पांडे ने पीजी सीट्स, डॉक्टर्स और सालाना मरीजों के वर्कलोड के आंकड़े साझा किए।
5 दिन में दूसरी बार एमटीएच पहुंचे, व्यवस्थाएं ठीक मिली
संभागायुक्त सोमवार सुबह फिर एमटीएच अस्पताल पहुंचे। 3 अगस्त को भी उन्होंने अस्पताल का निरीक्षण किया था। दोबारा पहुंचे तो व्यवस्थाओं में सुधार दिखा। उधर, निरीक्षण को लेकर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन ने आपत्ति जताई। डीन को पत्र लिखा कि निरीक्षण के दौरान संभागायुक्त ने जूनियर डॉक्टर के कक्ष में बिना पूर्व सूचना के प्रवेश किया। ऐसा नहीं होना चाहिए। उन्होंने डॉ. अनुपमा दवे को दोबारा उप अधीक्षक के पद पर बहाल करने की मांग की है।
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