शहर में चल रही सिटी बसों ने एशिया के सबसे बड़े बायो सीएनजी प्लांट से गैस लेना बंद कर दिया है। वजह- गैस से नमी ज्यादा होने से एवरेज कम मिलना और मेंटेनेंस संबंधी दिक्कतें आना है। खास बात यह है कि बायो सीएनजी बाजार भाव से 5 रुपए प्रति किलो सस्ती पड़ती है, लेकिन इससे बसों की ऑपरेटिंग कॉस्ट 4 रुपए ज्यादा पड़ रही है। बताया जा रहा है कि प्रबंधन गैस की क्वालिटी सुधारने के लिए फ्रांस से नई मशीन मंगवा रहा है।
पिछले दिनों देवगुराड़िया स्थित बायो-सीएनजी प्लांट की गैस से बसों के माइलेज और इंजन में दिक्कतों की शिकायत निगम अधिकारियों तक पहुंची थी। इसके बाद एक्सपर्ट की टीम ने एक महीने तक लाइव टेस्टिंग की थी। जिसमें यह खामी निकलकर आई।
ऑपरेटिंग कॉस्ट 4 रुपए प्रति किमी ज्यादा आ रही
वर्तमान में बाजार से 93 रु. किलो सीएनजी गैस खरीदी जा रही है। वहीं देवगुराड़िया प्लांट से अनुबंध के तहत 88 रु. किलो में गैस दे रहे हैं। हालांकि बाजार से ली जा रही गैस से रोजाना की ऑपरेटिंग कॉस्ट 18.6 रु. प्रति किमी आ रही थी, जबकि बायो सीएनजी से 22 रु. आ रही है। इस पर टेंडर कंपनी ‘चलो’ ने आपत्ति ली।
बाजार से ले रहे गैस से ऑपरेटिंग कॉस्ट 18.6 रु, बायो सीएनजी से आ रही 22 रु.
- 180 बसें एआईसीटीएसएल के अधीन हैं
- 35 बसों को बायो सीएनजी से चलाया जा रहा था
- 10 बसें ही प्लांट से गैस भरवा रहीं हैं अब
- 3.4 किमी प्रति किलो एवरेज बायो सीएनजी से
- 4.9 किमी एवरेज सीएनजी से
बायो सीएनजी व सीएनजी में यह होता है फर्क
सीएनजी मीथेन है, जो सबसे हल्की प्राकृतिक गैस है। यह सीधे जमीन से निकलती है। पाइप में फिल्टर होकर ट्रांसपोर्ट होती है। बायो-सीएनजी भी मीथेन है, लेकिन यह कार्बनिक इन-हाइड्रेट प्रोसेस से बनती है।
नए उपकरण मंगवाए हैं
बसों का एवरेज कम निकलना सहित कुछ इशू थे। कंपनी ने कुछ नए उपकरण लगाए हैं। कंपनी की रिपोर्ट मिलना बाकी है। उसके बाद दोबारा टेस्टिंग करवाएंगे।
मनोज पाठक, अपर आयुक्त व सीईओ एआईसीटीएसएल
कचरे में डस्ट पार्टिकल आ रहे थे, उसके लिए जर्मनी से उपकरण मंगवाए गए हैं। नमी की मापने के लिए एनालाइजर मंगवा लिया है। रोज 12 टन गैस का उत्पादन कर रहे हैं।
नीतेश त्रिपाठी, प्लांट संचालक
पांच रुपए कम में गैस मिलने के बावजूद बसों का एवरेज कम मिल रहा है। हमने निगम प्रशासन से गैस की कीमत कम करने की मांग रखी है। रेट रिवाइज किए जा रहे हैं।
सौरभ श्रीवास्तव, मैनेजर चलो
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