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मनुष्य का जीवन भी एक खेल है, जिसमें वह आज तक जीत नहीं पाया- मुनिश्री

कोई भी ऐसा खेल, जो टीम के साथ खेला जाता है, यदि उस खेल में जीतना है तो टीम का कैप्टन मजबूत होना बहुत जरूरी है। कैप्टन, टीम का कमांडर जब अपने साथियों को, टीम को संबल देता है तो वही टीम जोश के साथ खेल खेलती है।

अगर फिर भी वह टीम जीत नहीं पाती तो इससे यही सिद्ध होता है कि उस टीम का कैप्टन मजबूत नहीं है। ये मनुष्य का जीवन भी एक खेल है, जिसमें वह आज तक जीत नहीं पाया। हर बार उसे हार का सामना करना पड़ा, क्योंकि सम्यग्दर्शन रूपी कैप्टन उसके पास नहीं था। इस सम्यग्दर्शन को जिसने भी पा लिया, उसकी संसार से जीत निश्चित है।

यह विचार मुनिश्री सुप्रभसागरजी महाराज ने श्रीआदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर ऋषिनगर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने कहा आज व्यक्ति ने मात्र और मात्र सांसारिक सुख-सुविधाओं को प्राप्त करके ही जीवन की सफलता मान ली और यही उसकी बहुत बड़ी भूल थी। संसार में जिस दिन व्यक्ति विषय कषायों के आगे नतमस्तक होते हैं, उसी दिन वह जीवन में हार जाते हैं लेकिन व्यक्ति सोचता है कि जो गले में हार पड़ा है, वह मेरी जीत का हार है।

वास्तव में वह उसके जीवन की सबसे बड़ी हार थी। क्योंकि यह मनुष्य पर्याय तो पुरुषार्थ पूर्वक सम्यग्दर्शन प्राप्त करके जीवन को जीतने के लिए ही मिली थी, इसलिए व्यक्ति को यही पुरुषार्थ करना चाहिए कि सम्यग्दर्शन को प्राप्त करके एक अच्छा कमांडर बनकर जीवन के खेल में जीत ले।

मीडिया प्रभारी प्रदीप झांझरी ने बताया मुनिश्री द्वारा शनिवार को जैनेस्टिक साइंस की कक्षा आयोजित की जाएगी। प्रति शनिवार व रविवार को सुबह 7.15 बजे युवाओं के लिए जैनेस्टिक साइंस की कक्षा आयोजित की जाती है। जिसमें विज्ञान और जैन धर्म को समझने का सरलतम उपाय बताया जाता है। वहीं प्रति शनिवार-रविवार शाम 6.45 बजे पाठशाला में संस्कारों का बीजारोपण भी किया जाता है।

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