ध्यान एक ऐसी विद्या है, जिसकी मदद से हम नकारात्मक विचारों को दूर कर सकते हैं और मन को शांत कर सकते हैं, लेकिन ध्यान करना इतना सहज नहीं है। इसके लिए लंबे समय तक ध्यान का अभ्यास करना होता है। ध्यान कैसे करना चाहिए, इस संबंध में गौतम बुद्ध से जुड़ा एक प्रेरक प्रसंग प्रचलित है।
प्रेरक प्रसंग के मुताबिक, एक दिन गौतम बुद्ध अपने शिष्यों और अन्य लोगों को उपदेश दे रहे थे। सत्संग में काफी लोग बैठे हुए थे। भीड़ में से एक व्यक्ति उठा और उसने बुद्ध से पूछा कि तथागत मैं जब ध्यान करने बैठता हूं तो मेरा मन ध्यान में नहीं लग पाता है। कृपया बताइए, मैं ध्यान कैसे कर सकता हूं?
बुद्ध के साथ ही सत्संग में बैठे हुए लोगों ने भी ये प्रश्न सुना, लेकिन बुद्ध ने उस व्यक्ति से कहा कि कृपया फिर से अपनी बात कहें।
उस व्यक्ति ने फिर से कहा कि मेरा मन ध्यान में नहीं लगता है, मैं ध्यान कैसे कर सकता हूं?
बुद्ध ने कहा कि एक बार और अपनी बात कहें।
उस व्यक्ति ने एक बार और अपनी बात कह दी।
बुद्ध मे कहा कि हमारे विचार मन के लिए भोजन हैं। जब तक मन को विचारों का भोजन मिलता रहेगा, हम ध्यान नहीं कर सकते हैं। जब हम ध्यान करने बैठे, तब मन को विचारों का भोजन नहीं देना चाहिए, यानी सोच-विचार करना बंद कर देना चाहिए। तब ही हम ध्यान कर पाएंगे। जब मन विचारों से खाली हो जाएगा, तब ही हम ध्यान कर पाएंगे।
बुद्ध ने उस व्यक्ति से ध्यान के बारे में प्रश्न तीन बार पूछा था और बुद्ध ने भी तीन बार इस प्रश्न का उत्तर दिया।
बुद्ध ने तीन बार उत्तर दिया तो लोगों ने पूछा कि आपने इस व्यक्ति से तीन बार प्रश्न पूछा और उत्तर भी तीन बार ही दिया, ऐसा क्यों?
बुद्ध ने लोगों को समझाया कि मैं इन सज्जन से तीन बार प्रश्न पूछा, क्योंकि मैं प्रश्न के लिए इनकी गंभीरता को परखना चाहता था। जब मुझे लगा कि ये अपने प्रश्न के लिए गंभीर हैं, तब मैंने उत्तर भी तीन बार दिया, ताकि मेरी बात इन्हें अच्छी तरह समझ आ जाए। तीन बार दोहराने से ये बात आप सभी के मन में ठीक से उतर गई होगी।
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